टीआरपी डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व एनडीए सरकार ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) को साकार करने में जुटी हुई है। सूत्रों के अनुसार, सरकार को पूरा विश्वास है कि उन्हें पार्टी लाइनों से परे समर्थन मिलेगा, जिससे यह नीति जल्द ही लागू की जा सकेगी।

सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के मौके पर इस मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। “इस कार्यकाल के भीतर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लागू करना तय है। यह जल्द ही हकीकत बनेगा।”

पीएम मोदी ने की ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की पुरजोर वकालत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की आवश्यकता को दोहराया था। लाल किले से अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति बाधित होती है और राष्ट्रीय संसाधनों का भी दुरुपयोग होता है। उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे इस महत्वपूर्ण पहल के लिए एकजुट होकर आगे आएं।

मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “देश को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के लिए कदम बढ़ाना होगा। हमें राष्ट्रीय तिरंगे के साक्षी में यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे संसाधनों का सही उपयोग हो और देश की प्रगति को प्राथमिकता दी जाए।”

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बीजेपी के प्रमुख एजेंडे में

बीजेपी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को अपने घोषणापत्र में प्रमुख वादों में शामिल किया है। इस वर्ष मार्च में, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में गठित एक उच्चस्तरीय पैनल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। पैनल ने 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी कराने की सलाह दी, जिससे देश में चुनाव प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और सरल बनाया जा सके।

इस नीति के लागू होने से देश में बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रिया में लगने वाले समय और धन की बचत होगी और विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।