0 वन्यजीव प्रेमी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जताई आशंका
रायपुर। छत्तीसगढ़ में वनविभाग मुख्यालय (वन्य प्राणी) के संरक्षण तले वन विभाग हाथी मानव द्वंद कम करने के नाम से जानबूझकर ऐसी ट्रेनिंग दिलवा रहा है जिससे हाथी मानव के बीच द्वंद बढ़ेगा और इससे जनहानि बढ़ेगी। इसे लेकर रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने चिन्ता बताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
विशेषज्ञ को बुलाकर दी जा रही है ट्रेनिंग
सीएम को प्रेषित पत्र में उल्लेख है कि सूरजपुर वन मंडल में कर्नाटक से विशेषज्ञ डॉ रूद्र आदित्य को बुलवाया गया है, जो जूट की बोरी में मिर्च डालकर, मशाल बना कर मिर्च युक्त धुएं से जंगल से हाथियों को भगाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इस विशेषज्ञ द्वारा हाथियों को भगाने के लिए बड़े-बड़े फटाके फेंके जाने की भी चर्चा पहले होती रही है।
ऐसी ट्रेनिंग से बढ़ेगा हाथी मानव द्वंद
स्वाभाविक है मशाल बना कर मिर्च युक्त धुआं से हाकां लगाने से हाथी परेशान होंगे और हाथी मानव द्वन्द बढ़ेगा, जिससे जनहानि बढ़ेगी। किसी भी वन्य प्राणी को हांका लगाना वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत अपराध है। मशाल बना कर मिर्च युक्त धुआं से हांका लगाने या साधारण मशाल से और हल्ला बोल पार्टी पर छत्तीसगढ़ में 2006 से ही प्रतिबंधित करने की जानकारी सामने आ रही है।
भारत सरकार भी ले चुकी है आपति
नितिन सिंघवी ने बताया कि इसी विशेषज्ञ द्वारा, इसी वर्ष जून में मध्य प्रदेश के अनूपपुर में छत्तीसगढ़ से पहुचें दो हाथियों पर मशाल प्रयोग किये गए थे। हाथी जहां जाते वहां उपरोक्त मशाल के प्रयोग से परेशान होने के समाचार थे। इसकी शिकायत भारत सरकार, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में करने पर, भारत सरकार ने मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को जांच करके वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत कार्यवाही करने के आदेश दिए थे। जब ये प्रयोग बंद किये गए तब शांति हो गई, तब ये हाथी वापस शांतिपूर्वक छत्तीसगढ़ लौट गए।
किसके संरक्षण में हो रही है मशाल ट्रेनिंग?
सिंघवी ने आरोप लगाया कि बिना मुख्यालय के संरक्षण तले यह कार्य नहीं हो सकता। जनवरी 2023 से छत्तीसगढ़ वन विभाग के मुख्यालय की वन्यप्राणी शाखा के, वन्यजीवों की समझ ना रखने वाले अधिकारियों के अविवेकपूर्ण निर्णयों के चलते वन्यजीवों का काफी नुकसान हुआ है। सिंघवी द्वारा हाथियों के व्यवहार को समझने वाले और वन्यजीवों में रूचि रखने वाले अधिकारियों के अधीन एलीफैंट सेल बनाने का सुझाव भी दिया जा चुका है। सिंघवी ने लिखा है कि यह नहीं माना जा सकता कि मशाल ट्रेनिंग मुख्यालय (वन्यप्राणी) की जानकारी के बिना हो रही हो। अगर ऐसा है तो मुख्यालय का मानव हाथी द्वंद्व को बढ़ाकर जनहानि बढ़ाने का यह यह कृत्य माफी योग्य नहीं होना चाहिए। अगर मुख्यालय यह दावा करता है कि उसकी जानकारी के बिना ट्रेनिंग दी जा रही है तो मुख्यालय में ऐसे अधिकारियों की जरुरत क्या है, जिन्हें कुछ भी नहीं मालूम। इस पत्र में जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही की मांग की गई है।