0 प्रदेश में कब तक खुलेंगे गौ अभ्यारण्य..?

बिलासपुर। सड़कों पर मवेशियों के चलते होने वाले हादसों को लेकर हाई कोर्ट का आदेश अफसरों पर भारी पड़ रहा है। न्यायधानी बिलासपुर में कलेक्टर अवनीश शरण ने सड़क पर मवेशियों को रोकने के लिए सतत निगरानी के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिले के सभी एसडीएम के साथ बैठक कर अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए हरसंभव उपाय करने का आदेश दिया। इसके तहत, कल रात 10 बजे से निगम आयुक्त अमित कुमार, एसडीएम बिलासपुर पीयूष तिवारी, सीएसपी पूजा कुमार, सीएसपी उमेश गुप्ता, नायब तहसीलदार राहुल साहू, मैनेजर एनएचएआई और संयुक्त संचालक पशु विभाग ने सड़कों पर उतरकर आवारा मवेशियों को हटाने के उपायों का निरीक्षण किया। इस दौरान कुछ अधिकारी सड़क से मवेशियों को भगाते हुए भी तस्वीरों में कैद हुए।

अधिकारियों की टीमों ने सड़कों को खाली कराने के बाद बाकायदा तस्वीरें भी ली और अधिकारियों को प्रेषित किया।

मवेशियों को हटाने काऊ कैचर की मदद

इस टीम ने हाई कोर्ट रोड, तोरवा रोड, मोपका, कोनी और सेंदरी जैसी प्रमुख सड़कों का निरीक्षण किया। इस दौरान काऊ कैचर की मदद से सड़कों पर मौजूद मवेशियों को हटाया गया, ताकि सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके। इस दौरान कई मवेशियों के गले में रेडियम का पट्टा भी लगाया गया।

नियमित निगरानी के लिए रोस्टर तैयार

कलेक्टर के निर्देश पर निरीक्षण के लिए तहसीलदारों, थाना प्रभारियों, निगम और पशु विभाग के अधिकारियों का रोस्टर तैयार किया गया है। यह टीम नियमित रूप से सड़कों की निगरानी करेगी और आवारा मवेशियों को सड़कों से हटाने का काम करेगी।

राजधानी का हाल और भी बुरा

न्यायधानी याने बिलासपुर से होकर गुजरने वाले नेशनल हाईवे पर तो जिला प्रशासन मवेशियों को हटाने का काम कर रहा है मगर इस जिले में अन्य मुख्य मार्गों का हाल अब भी जस का तस है। विशेषकर रात के वक्त सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा होता है। वहीं इससे भी बुरा हाल राजधानी रायपुर के शहरी इलाके और हाइवे का है। रायपुर-बिलासपुर हाइवे पर रात के वक्त कई स्थानों पर मवेशी सड़कों पर विचरण करते या बैठे नजर आ जायेंगे। इस मार्ग पर हर रोज रात को कई जगह मवेशियों के शव नजर आते हैं, जो रात के अंधेरे में वाहनों से टकराकर मारे जाते हैं। शहरी इलाके में कई सड़कों पर मवेशियों की भरमार नजर आती है।

मुख्यमंत्री का काफिला भी नहीं बचा मवेशियों से

एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल दो वाहन आपस में टकरा गए। इस दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बल-बल बचे। दरअसल सड़क पर मवेशी के आने के चलते उसे बचाने के फेर में पायलट वाहन के चालक ने ब्रेक लगाई और इस दौरान दूसरी गाड़ी उससे टकरा गई। इस घटना में क्षतिग्रस्त वाहनों को अलग कर सीएम का काफिला आगे बढ़ा। यह बड़ी शोचनीय स्थिति है कि जिम्मेदार अफसर और अमला मुख्यमंत्री की आवाजाही वाले मार्ग से भी मवेशियों को हटा नहीं पा रहा है।

कब खुलेंगे प्रदेश में गौ अभ्यारण्य

प्रदेश में भाजपा की सरकार है और जब आवारा मवेशियों की बात होती है तो इस समस्या को पूर्व की कांग्रेस सरकार की देन बता दिया जाता है। आम लोगों का मानना है कि तब गौठान चलते थे और अधिकांश आवारा मवेशियों को गौठानों में रख दिया जाता था। ऐसे में सड़कों पर मवेशियों की संख्या काफी कम होती थी, और किसानों के खेतों को भी नुकसान नहीं होता था। मगर वर्तमान में आवारा मवेशियों की संख्या बेतहाशा बढ़ी है और उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा है। सरकार ने गौठानों के विकल्प के रूप में प्रदेश भर में गौ अभ्यारण्य शुरू करने की घोषणा की है, मगर प्रदेश में फ़िलहाल इस कार्य में कोई प्रगति नजर नहीं आ रही है, जिसका दुष्परिणाम सामने है।

इस मुद्दे को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका चल रही है और हर सुनवाई में हाई कोर्ट अफसरों को फटकार लगाता है। आलम ये है कि जिम्मेदार अफसर सुनवाई के पहले और सुनवाई के कुछ दिनों बाद तक सक्रिय रहते हैं, और सड़कों से मवेशियों को हटाने का काम धड़ल्ले से चलता है, उसके बाद स्थिति जस की तस हो जाती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए जल्द से जल्द विकल्प तैयार करने की जरुरत है, अन्यथा हादसे आगे भी होते रहेंगे, जिसमें केवल मवेशी ही नहीं आम लोग भी मारे जाते हैं।