Isha Foundation Controversy: गुरुवार (3 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें तमिलनाडु सरकार को ईशा फाउंडेशन और सद्गुरु के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था।

मद्रास हाईकोर्ट का आदेश
मद्रास हाईकोर्ट ने फाउंडेशन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे, जिसमें लड़कियों का ब्रेनवॉश करने और बंधक बनाने के आरोप शामिल हैं। इस आदेश के खिलाफ ईशा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में फाउंडेशन की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने त्वरित सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि मद्रास हाईकोर्ट ने बिना किसी ठोस आधार के आदेश जारी किया है।
चीफ जस्टिस की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हाईकोर्ट का आदेश स्थगित किया जा सकता है, क्योंकि इसे बिना प्राथमिक आधार के पारित किया गया था। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि अंतरिम आदेश जारी करने से पहले वे उन दो महिलाओं से बात करेंगे, जिन्होंने आरोप लगाया है कि ईशा फाउंडेशन ने उनका ब्रेनवॉश किया और उन्हें बंधक बना लिया था।
पुलिस की कार्रवाई
सद्गुरु जग्गी वासुदेव का ईशा फाउंडेशन योग केंद्र तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित है। मंगलवार को, 150 से अधिक पुलिसकर्मी और सरकारी अधिकारी इस योग केंद्र में पहुंचे और इसकी गतिविधियों की जांच की। यह कार्रवाई मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के बाद की गई थी।
फाउंडेशन को राहत की उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट से फाउंडेशन को राहत मिलने की उम्मीद है। चीफ जस्टिस ने कहा कि सुनवाई के दौरान फाउंडेशन के तर्कों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा, और फाउंडेशन की ओर से त्वरित सुनवाई की मांग पर कोर्ट ने सकारात्मक रुख दिखाया है। बता दें कि जग्गी वासुदेव अध्यात्म जगत में एक प्रमुख नाम हैं और उनके अनुयायी विश्वभर में फैले हुए हैं।