टीआरपी डेस्क। नेहा ब्याडवाल, जो अब तक सिविल सर्वेंट की बेटी के तौर पर जानी जाती थीं, अब खुद भी एक सिविल सर्विस ऑफिसर बन चुकी हैं। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया और असफलताओं के बावजूद कभी हार नहीं मानी। उनकी यूपीएससी सफलता की कहानी हर aspirant के लिए एक प्रेरणा है। नेहा के पिता श्रवण कुमार, इनकम टैक्स विभाग में वरिष्ठ अधिकारी (सीआईटी) हैं, और नेहा उन्हें अपनी सबसे बड़ी प्रेरणा मानती हैं।
नेहा का जन्म 3 जुलाई, 1999 को जयपुर, राजस्थान में हुआ, लेकिन उनकी परवरिश छत्तीसगढ़ में हुई। उनके पिता की ट्रांसफरेबल नौकरी के कारण नेहा ने कई राज्यों में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उनकी पढ़ाई जयपुर से शुरू हुई और उसके बाद भोपाल के किडजी हाई स्कूल, छत्तीसगढ़ के होली हार्ट्स, डीपीएस कोरबा, और डीपीएस बिलासपुर से उन्होंने शिक्षा प्राप्त की। नेहा शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थीं और उन्होंने रायपुर के डीबी गर्ल्स कॉलेज से इतिहास, अर्थशास्त्र और भूगोल में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। यहां की शिक्षा और विविधतापूर्ण माहौल ने उनकी पर्सनैलिटी पर गहरा प्रभाव डाला और उन्हें अपनी एक अलग पहचान बनाने का जज्बा मिला।
यूपीएससी की यात्रा
नेहा ने यूपीएससी परीक्षा से पहले कई बार एसएससी की परीक्षा पास की, लेकिन उन्होंने कभी सरकारी नौकरी जॉइन नहीं की क्योंकि उनका असली लक्ष्य सिविल सर्विस में जाना था। 19 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के Vajiram एंड Ravi से कोचिंग ली, लेकिन फिर रायपुर लौटकर सेल्फ स्टडी पर फोकस किया। उन्होंने अपने चौथे अटेम्प्ट में 569वीं रैंक हासिल कर अपने सिविल सर्वेंट बनने के सपने को साकार किया।
तैयारी और चुनौतियां
नेहा के अनुसार यूपीएससी की तैयारी के दौरान उनके सामने कोई विशेष चुनौती नहीं थी, क्योंकि उनका लक्ष्य स्पष्ट था। असफलताओं के बावजूद उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और हर बार अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ीं। उनका मानना है कि अगर कोई समस्या है, तो उसका समाधान भी होता है, और असफलता से डिप्रेशन में जाने की बजाय खुद को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।
यूपीएससी एस्पिरेंट्स के लिए टिप्स
नेहा ने यूपीएससी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए कुछ खास टिप्स साझा किए हैं। वह कहती हैं कि खुद पर विश्वास रखें, मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, और हर दिन अपने लिए छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें। सही गाइडेंस लें और पॉजिटिव रहें। चुनौतियों का सामना करें, लेकिन कभी उम्मीद न छोड़ें।