टीआरपी डेस्क। शारदीय नवरात्रि का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दूसरे दिन यानी द्वितीया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी को तपस्या, ज्ञान और वैराग्य की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति को बुद्धि, विद्या, और जीवन में संयम की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि उनके तपस्विनी स्वरूप की आराधना से साधक की इंद्रियों पर नियंत्रण होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

स्नान और शुद्धि: सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
देवी का ध्यान: मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
पूजन सामग्री: पूजा के लिए सफेद या पीले फूल, धूप, दीपक, अगरबत्ती, घी, चीनी का भोग, और फल अर्पित करें।
भोग: मां को चीनी का भोग लगाएं। चीनी उनकी प्रिय वस्तु मानी जाती है।
आरती और स्तोत्र पाठ: घी में कपूर मिलाकर आरती करें और उनके स्तोत्र का पाठ करें।

पूजा का महत्व

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से साधक को मानसिक शांति, एकाग्रता और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह पूजा व्यक्ति को हर प्रकार की समस्याओं से मुक्त करती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाती है। उनके स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जिससे साधक के सभी कार्य सफल होते हैं।

पूजा सामग्री

पूजन के लिए निम्नलिखित सामग्री का उपयोग किया जाता है:

नवदुर्गा की प्रतिमा
लाल या पीला कपड़ा
अगरबत्ती, दीपक और घी या तेल
सफेद या पीले फूल
मिठाई, अक्षत, रोली और चंदन
जल से भरा कलश और नारियल

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि सरल है, लेकिन इसके प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और वैराग्य की प्राप्ति होती है। उनकी आराधना से ज्ञान का प्रकाश फैलता है और जीवन की कठिनाइयों का अंत होता है।