टीआरपी डेस्क। नवरात्रि का पर्व माता दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए जाना जाता है। हर दिन एक विशेष देवी की पूजा-अर्चना की जाती है, और नवरात्रि के पांचवें दिन का समर्पण मां स्कंदमाता को होता है। मां स्कंदमाता अपने दिव्य स्वरूप में चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके दो हाथों में कमल के फूल होते हैं। उनका एक हाथ आशीर्वाद देने की मुद्रा में रहता है, जबकि उनकी गोद में भगवान कार्तिकेय बाल रूप में विराजमान होते हैं। मां कमल के आसन पर विराजती हैं, जिस कारण उन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। उनका वाहन शेर है, जो उनके साहस और शक्ति का प्रतीक है।

मां स्कंदमाता की पूजा का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष नवरात्रि के पांचवे दिन, मां स्कंदमाता की पूजा का शुभ समय सुबह 11:40 से 12:30 बजे के बीच बताया गया है। इस समयावधि में पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है और भक्तों को मां का आशीर्वाद मिलता है।
स्कंदमाता की पूजा विधि
पूजा विधि के अनुसार, नवरात्रि के पांचवे दिन भक्तों को सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। फिर पूजा स्थल पर मां स्कंदमाता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। गंगाजल से शुद्धिकरण करें और एक कलश में पानी डालकर उसमें कुछ सिक्के रखें। पूजा का संकल्प लेकर मां को रोली और कुमकुम चढ़ाएं। सफेद वस्त्र पहनकर केले का भोग अर्पित करना विशेष फलदायी माना जाता है, क्योंकि मां स्कंदमाता को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। पूजा के अंत में मां की आरती और मंत्र जाप करें।
स्कंदमाता की पूजा का महत्व
स्कंदमाता की पूजा संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाओं को दूर करती है। उनके आशीर्वाद से बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है, और पारिवारिक जीवन में शांति बनी रहती है। माता के इस स्वरूप की पूजा संतान सुख की कामना रखने वाले भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है। उनकी कृपा से परिवार में समृद्धि और शांति आती है।
मां स्कंदमाता की पूजा न केवल भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का भी आशीर्वाद देती है।