0 प्रदेश में अब तक बिजली के करंट से 78 हाथियों की हो चुकी है मौत…

रायगढ़। जिले के घरघोड़ा तमनार वन परिक्षेत्र की सीमा से लगे हुए सामारुमा कम्पार्टमेंट के 856 पीएफ में 3 हाथियों की मौत हो गई है। कहा जा रहा है कि बिजली के एक खंबे से झूले हुए 11 हजार केवी के तारों की चपेट में आने से वहां से गुजर रहे एक नर व मादा हाथी सहित उसके बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई। घटनास्थल पर बिजली के तार गिरे हुए नजर आये जिससे आसपास मौजूद घास पर आग भी लग गई है।

मिली जानकारी के मुताबिक करेंट से 1 बड़ी मादा हाथी, 1 युवा हाथी और 1 शावक की मौत हो गई है। घटना 24 से 25 अक्टूबर की दरमियानी रात की बताई जा रही है। घटना स्थल पर बिलासपुर वृत्त के CCF, रायगढ़ DFO, घरघोडा SDO के.पी.डिंडोरे, घरघोड़ा रेंजर ज्योति गुप्ता, पशु चिकित्सक सहित घरघोड़ा तमनार का वन अमला मौके पर मौजूद हैं।

इस घटना की जानकारी मिलते ही जिले की मंडलाधिकारी स्टाईलो मंडावी अपनी टीम के साथ पहुंच गई है। यह घटना रायगढ़ जिले के घरघोड़ा ब्लॉक में आने वाले वन विभाग की नर्सरी के भीतर हुई जो ग्राम चहुकीमार में संचालित है। देर रात हुई इस घटना की जानकारी आज सुबह वन विभाग को मिली उसके बाद तीनों शवों की जांच करते हुए विभाग की टीम ने शवों का पोस्टमार्टम कराने का निर्णय लिया है। इस इलाके में कल रात से ही 78 हाथियों के एक दल ने धरमजयगढ़ वन मंडल से रायगढ़ वन मंडल के भीतर प्रवेश किया है, हाथी लगातार क्षेत्र में खेतों में लगी धान की फसल को नुकसान पहुंचा रहे थे। इस दौरान हाथी परिवार की मौत से पर्यावरण प्रेमियों ने भी विद्युत विभाग के ऊपर लापरवाही के आरोप लगाये हैं।

वन्य जीव प्रेमी ने उठाया ये सवाल…

हाथियों की करंट से होने वाली मौतों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने बताया कि उन्हें याचिका दायर किये हुए 7 बरस बीत गए और इस दौरान बिजली विभाग जंगलों के भीतर से गए बिजली के तारों को ठीक करने के लिए 1674 करोड़ रूपये की जरुरत बताते हुए वन विभाग से इसकी मांग करता रहा। वहीं वन विभाग इससे इंकार करता रहा। हालांकि बीते 7 सालों के दौरान बिजली विभाग केवल 40 करोड़ के सुधार कार्य ही करवा सका है। हाई कोर्ट में अंततः इसी माह 3 अक्टूबर को हुई सुनवाई में CSEB ने कहा कि प्रदेश के जंगलों में बिजली सुधार संबंधी कार्य वह चरणबद्ध ढंग से कराएगा। CSEB ने कोर्ट में यह नहीं बताया कि वह कितने समय में किस तरह चरणबद्ध तरीके से यह कार्य कराएगा। नितिन सिंघवी ने कहा कि ऐसे में तो हाथियों और अन्य जानवरों की मौतें होती रहेंगी, इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा।

35% हाथियों की मौत बिजली के करंट से

नितिन सिंघवी बताते हैं कि सन 2001 से लेकर अब तक छत्तीसगढ़ में कुल 224 हाथियों की मौत हो चुकी है। इनमें से 78 हाथियों की मौत करंट से हुई है। इस तरह करंट से हाथियों की मौत का आंकड़ा 35% होता है। प्रदेश के जंगलों में बिजली के लगभग 8000 किलोमीटर तार गुजरते हैं, जिनके खंबो की ऊंचाई लगभग 20 फिट बढ़ानी है, वहीं खुले तारों की जगह एरियल बंच केबल (ABC) तार बिछाया जाना है। सिंघवी का कहना है कि बिजली विभाग यह खुलासा करे कि वह किस तरह कब तक चरणबद्ध तरीके से यह कार्य करेगा।

जानवरों के शिकार में बिजली का इस्तेमाल

करंट से हाथियों की मौत की घटनाओं पर नजर डालें तो पता चलता है कि अधिकांश मौतें ग्रामीणों और शिकारियों द्वारा दूसरे जंगली जानवरों के शिकार के लिए बिछाए गए हाई वोल्टेज बिजली के तारों की वजह से हुई है। इसके अलावा ग्रामीण अपनी फसल और सब्जियों को बचाने के लिए भी बिजली के तार बिछा देते हैं। इससे भी अब तक कई हाथियों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों द्वारा बिजली का दुरूपयोग और चोरी को रोकने की जिम्मेदारी बिजली विभाग की है और यह विभाग अपनी जिम्मेदारियों का वहन नहीं कर पा रहा है।

बहरहाल करंट से हाथियों की लगातार हो रही मौतों को रोकने के लिए वन एवं बिजली विभाग को संयुक्त प्रयास से तारों का सुधार कार्य तेजी से कराना चाहिए, अन्यथा बेजुबान जानवरों की मौत इसी तरह होती रहेगी।