टीआरपी डेस्क। इस साल दिवाली का पर्व खास योगों में गुरुवार को मनाया जाएगा। गुरुवार, कार्तिक अमावस्या तिथि के दिन चित्रा नक्षत्र और प्रीति योग का संयोग बन रहा है, जो इसे और शुभ बना रहा है। दिवाली का यह पर्व देवी लक्ष्मी के स्वागत और श्री गणेश जी की पूजा का महत्वपूर्ण अवसर है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ दोपहर 3:52 बजे से होगा, जिसके बाद शाम को सूर्यास्त 5:36 बजे होते ही प्रदोष काल शुरू होगा। इसी प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा की जाती है। इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:27 बजे से रात 8:32 बजे तक रहेगा, वहीं लक्ष्मी पूजन के लिए निशिता काल मुहूर्त रात 11:39 बजे से देर रात 12:31 बजे तक है।

दिवाली पूजा में श्री गणेश और माता लक्ष्मी की नई मूर्तियों की स्थापना की जाती है। पूजा में अक्षत, लाल गुलाब, कमल के फूल, सिंदूर, हल्दी, चंदन, धूप, दीप, मोदक, खीर और बताशे अर्पित किए जाते हैं। इसके साथ ही, लक्ष्मी और गणेश चालीसा का पाठ भी करने से विशेष लाभ माना गया है।

धार्मिक मान्यताएं: मान्यता है कि प्रभु श्रीराम के रावण पर विजय के उपरांत जब वह माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे, तो उनके स्वागत में नगरवासियों ने हर घर में दीप जलाए थे। तभी से कार्तिक अमावस्या पर दीपोत्सव का आयोजन होता आ रहा है। अयोध्या में इस दिन भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है, जो एक परंपरा के रूप में दीप जलाने और उत्सव के माहौल को जीवित रखता है।

गुरुवार व्रत का महत्व: इस साल दिवाली पर विशेष संयोग से गुरुवार व्रत भी है। इस दिन लक्ष्मीपति भगवान विष्णु और देव गुरु बृहस्पति की पूजा का विधान है। केले के पौधे की पूजा करने से कुंडली में गुरु दोष दूर होता है, और भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

दिवाली पर शुभ-अशुभ मुहूर्त:

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 6:27 बजे से रात 8:32 बजे तक
निशिता काल पूजा मुहूर्त: रात 11:39 बजे से 12:31 बजे तक
ब्रह्म मुहूर्त: 4:49 बजे से 5:41 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:42 बजे से 12:27 बजे तक
अशुभ समय:

राहुकाल: दोपहर 1:27 बजे से 2:50 बजे तक
गुलिक काल: सुबह 9:18 बजे से 10:41 बजे तक
यमगण्ड काल: सुबह 6:32 बजे से 7:55 बजे तक