रायपुर। दुर्ग के बाद अब राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में बड़ी संख्या में नियमित और संविदा चिकित्सकों ने सामूहिक इस्तीफा देकर अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। इस्तीफा देने वालों में एचओडी से लेकर सहायक व्याख्याता तक शामिल हैं। इन चिकित्सकों पर ही मेडिकल कॉलेज में मरीजों के इलाज की व्यवस्था करने की सीधी जिम्मेदारी रही है।

अनेक विभागों में चिकित्सक के पद हो गए खाली
जानकारी सामने आई है कि राज्य सरकार द्वारा निजी प्रैक्टिस पर शर्त लगाने से नाराज होकर राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के 20 चिकित्सकों ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है। इस्तीफा देने से मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रकाश खूंटे लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। डॉक्टरों के त्यागपत्र के कारण कैंसर, सर्जरी, हड्डी, नेत्र, मेडिसिन और स्त्री रोग समेत अन्य महत्वपूर्ण विभागों में चिकित्सकों के पद रिक्त हो गए हैं। हालांकि राज्य सरकार की ओर से चिकित्सकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।
निजी प्रैक्टिस रोकने के लिए अपनाया ये तरीका
पिछले दिनों राज्य सरकार ने अपने अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों के निजी अस्पतालों में जाने पर रोक लगाने के लिए ऐसा तरीका अपनाया, कि जिसके चलते डॉक्टर इस्तीफा देने लगे। सरकार ने आयुष्मान योजना के तहत इलाज करने वाले निजी अस्पतालों से यह शपथ पत्र देने को कहा कि उनके यहां कोई सरकारी डॉक्टर प्रैक्टिस नहीं कर रहे हैं। इस आदेश के बाद सरकारी मेडिकल कॉलेजों में संविदा पर नौकरी कर रहे डॉक्टरों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया। पहले दुर्ग के मेडिकल कॉलेज और अब राजनांदगांव के मेडिकल कॉलेज की बारी है। यहां 20 नियमित और संविदा डॉक्टर्स ने इस्तीफा दे दिया है।
घर पर प्रैक्टिस करने का क्या औचित्य
चिकित्सकों का कहना है कि सरकार ने घर पर प्रैक्टिस करने की छूट दी है। मगर विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए आपातकालीन स्थिति में घर पर उपचार करना संभव नहीं है। मसलन हृदय रोग एवं अन्य जानलेवा बीमारी के उपचार के लिए चिकित्सकों को अन्यत्र उपचार कराने की सलाह देना पड़ेगा, तभी ऐसे मरीजों का बेहतर उपचार संभव है।

NPA लेने वाले निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकते : स्वास्थ्य मंत्री
डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि, कोई भी डॉक्टर जो NPA (नान प्रैक्टिस अलाउंस) लेते हैं, वो निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं। ऐसे डॉक्टर जो NPA नहीं लेते अपनी ड्यूटी के बाद निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं।
‘इस्तीफे से संकट पैदा होगा’
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि, यह सरकार की गाइडलाइन है और यह पुराना अधिनियम है। इस बात को लेकर संविदा डॉक्टर इस्तीफा दे रहे हैं, इस्तीफा देने वालों से बातचीत जारी है। हमारे पास डॉक्टरों की कमी है, ऐसी स्थिति में डॉक्टर इस्तीफा देंगे तो संकट पैदा होगा। हमारी बातचीत चल रही है और हम बीच का रास्ता निकालेंगे।
बातचीत की अब तक कोई पहल नहीं
स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल भले ही इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों से बातचीत जारी रहने की बात कह रहे हैं, मगर TRP के सूत्र बताते हैं कि अब तक ऐसे किसी भी डॉक्टर से न तो कॉलेज अस्पताल प्रबंधन और न ही सरकार के किसी प्रतिनिधि ने उनसे बातचीत की कोई पहल की है। सच तो यह है कि इनमे से कई डॉक्टरों ने मन बना लिया है कि अब कोई पहल होगी भी तो वे अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। हालांकि इस्तीफा देने वाले डॉक्टर फ़िलहाल नोटिस पीरियड पर चल रहे हैं और अस्पताल में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
रमन ने कहा- सब होगा ठीक
विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने चिकित्सकों के सामूहिक त्यागपत्र के विषय पर कहा है कि स्थानीय स्तर पर चिकित्सकों से कलेक्टर के जरिये समस्या को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी जो भी परेशानी है, उसे दूर किया जाएगा। साथ ही राज्य सरकार से चिकित्सकों को लेकर जारी शर्तों पर पुन: विचार करने कहा जाएगा।
डॉक्टरों के काम छोड़ने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने भी बातचीत का रास्ता अपनाने की बात कही है मगर अब तक कोई भी पहल नहीं हुई है। कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल जब यह स्वीकार कर रहे हैं कि डॉक्टरों के काम छोड़ने से स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ेगा तो उन्हें जल्द से जल्द पहल करनी चाहिए, अन्यथा सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के बेपटरी होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।
आखिर में एक नजर राजनांदगांव के मेडिकल कॉलेज से सामूहिक इस्तीफा देने वाले डॉक्टर्स के पत्र के मजमून पर डालिये :


