भोपाल। प्रदेश में 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी का पावन पर्व सभी शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जायेगा | इस शुभ मुहूर्त के तहत कई शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह समारोह का आयोजन किया जाएंगा | ऐसी स्थिति में बाल विवाह होने की आशंका भी है।समाज में आज भी कई क्षेत्र ऐसे है जहां बाल विवाह जैसी कुप्रथा चलाई जा रही है | इसे रोकने के लिए प्रशासन ने 10 टीमें तैयार की है | ऐसे में अगर कहीं से भी बाल विवाह होने की खबर मिलती हैं, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ये निर्देश प्रदेश कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने शनिवार को महिला एवं बाल विकास अधिकारी, एसडीएम, तहसीलदार और स्थानीय थाना पुलिस को दिए हैं।
बाल विवाह न कराने का देना होगा शपथ पत्र
कलेक्टर के द्वारा बताया गया कि बाल विवाह जैसी पिछड़ी परम्परा और सामाजिक कुप्रथा की रोकथाम के लिए प्रशासन ने इस पर ठोस कदम उठाया हैं। इस कुप्रथा को रोकने के लिए जनता में जागरूकता और कानून के नियमों का पालन अनिवार्य है। बाल विवाह की रोकथाम अधिनियम 2006 के अनुसार बाल विवाह कराने या उसमें सहयोग करने वाले व्यक्ति, संस्था, संगठन को दो वर्ष तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना दोनों का ही प्रविधान है। ऐसे में सामूहिक विवाह कार्यक्रमों के आयोजकों को बाल विवाह न कराने का शपथ पत्र कलेक्टर कार्यालय और महिला एवं बाल विकास जिला कार्यालय में जमा करना होगा।
आयु प्रमाण पत्र देखना जरुरी
प्रशासन ने सभी प्रिंटिंग प्रेस, हलवाई, कैटर्स, धर्मगुरु, समाज के मुखिया, बैंड वाले, घोड़ी वाले और ट्रांसपोर्ट सेवाओं के संचालकों को निर्देश दिया है, कि वह विवाह में वर-वधू की आयु का प्रमाण पत्र देखकर ही इसमें अपना सहयोग दें। यदि बाल विवाह पकड़ाता है तो वह भी उसमें जिम्मेदार होंगे। इसके आलावा प्रिंटिंग प्रेस संचालक भी विवाह पत्रिका में स्पष्ट रूप से वर-वधू के बालिग होने का जिक्र करें।
यहां करें शिकायत
जिले में बाल विवाह की सूचना चाइल्ड लाइन के दूरभाष नंबर 1098 पर दे सकते है। साथ ही एसडीएम, तहसीलदार, थाना प्रभारी, परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को भी दे सकते हैं।