बिलासपुर। फर्जी बीएड प्रमाणपत्र के आधार पर पदोन्नति पाकर व्याख्याता बने जसवंत सिंह राजपूत को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा संयुक्त संचालक की जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है।
उच्च वर्ग शिक्षक के पद पर हुई थी नियुक्ति
दरअसल, जसवंत सिंह राजपूत के खिलाफ शिकायत की गई थी कि उन्होंने फर्जी बीएड प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया है। इस पर बिलासपुर संभाग के संयुक्त संचालक ने जांच की, जिसमें खुलासा हुआ कि राजपूत की नियुक्ति 1992 में उच्च वर्ग शिक्षक के पद पर शासकीय हाईस्कूल, बैगाकापा में हुई थी। इसके बाद उन्होंने 2004 में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर से प्रथम श्रेणी में स्वाध्यायी बीएड परीक्षा उत्तीर्ण करने का दावा करते हुए विभाग में अंकसूची प्रस्तुत की थी। इसी प्रमाणपत्र के आधार पर उन्हें उच्च वर्ग शिक्षक से प्रधानपाठक और बाद में 2008 में व्याख्याता के पद पर पदोन्नत किया गया।
सत्यापन में फर्जी मिला प्रमाण पत्र
जांच अधिकारी ने उक्त अंकसूची का सत्यापन गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से करवाया, जहां उप कुलसचिव ने स्पष्ट किया कि यह अंकसूची विश्वविद्यालय द्वारा जारी ही नहीं की गई है। जांच रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि जसवंत सिंह राजपूत ने फर्जी अंकसूची का सहारा लेकर पदोन्नति हासिल की थी। यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन करते हुए दंडनीय है।
लोक शिक्षण संचालनालय ने जसवंत सिंह को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील नियम 1966 के नियम 9 (1) (क) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। माना जा रहा है कि अब फर्जी प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने वाले जसवंत सिंह के खिलाफ जल्द ही पुलिस में FIR दर्ज कराया जायेगा।