0 सड़कों पर 28 जिलों से मंगाई रिपोर्ट, कोर्ट कमिश्नरों को दिया एक महीने का समय…

बिलासपुर। प्रदेश में बदहाल सड़कों पर दायर जनहित याचिकाओं, जिनमें हाईकोर्ट की स्वतः संज्ञान याचिका भी शामिल है, की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन में सोमवार को हुई। सड़कों की हालत और सड़क दुर्घटनाओं पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोर्ट कमिश्नरों से 28 जिलों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसके लिए एक माह का समय देते हुए अगली सुनवाई 17 दिसंबर को निर्धारित की गई है।

पीठ ने राष्ट्रीय राजमार्गों की पेंच रिपेयरिंग पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि भारी यातायात के बावजूद टोल के जरिए राजस्व तो अर्जित किया जा रहा है, लेकिन सड़कों की मरम्मत में लापरवाही बरती जा रही है।

ठोस योजना के बगैर समस्या का समाधान नहीं

सुनवाई के दौरान, सड़कों पर आवारा मवेशियों के जमाव और उनकी दुर्घटनाओं में मौत के मामलों पर भी चर्चा हुई। कोर्ट ने कहा कि जब तक स्थानीय प्रशासन, नगर निगम, पंचायतें ठोस योजना नहीं बनाएंगी, इस समस्या का समाधान संभव नहीं है।

सरकार की ओर से दी ये सफाई

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने बताया कि धनेली-मंदिर हसौद राष्ट्रीय राजमार्ग के पुनर्निर्माण के लिए 23 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया गया है। मंगला से उसलापुर ओवरब्रिज और अन्य सड़कों की स्थिति पर भी कोर्ट ने जवाब मांगा है।

पिछली सुनवाई में एनएचएआई ने सेंदरी को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित करते हुए दुर्घटनाओं को रोकने के लिए नई सर्विस रोड बनाने की जानकारी दी थी। राज्य शासन ने मेंटेनेंस के लिए ग्रांट जारी करने की बात कही थी, जिसे एक माह में पूरा करने का निर्देश दिया गया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रदेश शासन के मुख्य सचिव, नगर निगम और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के रीजनल ऑफिसर को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।