रायपुर। महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि नगर निगम अब शहर के चार विधायक और मंत्री चला रहे हैं, और निगम के अधिकारी भाजपा नेताओं के दबाव में काम कर रहे हैं। शनिवार को उन्होंने मीडिया से शहर के विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की।

उन्होंने अमलीडीह क्षेत्र में कॉलेज के लिए आरक्षित 9 एकड़ भूमि को बिल्डर के नाम पर आबंटन किए जाने के मामले में सीबीआई जांच की मांग की। साथ ही, उन्होंने शहर में गरीबों के ठेले और गुमटियों को हटाए जाने को गलत बताया। मेयर ने कहा कि ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है, लेकिन गरीबों को बिना उचित व्यवस्था के हटाना सही नहीं है।

निगम का एक्शन गलत
मेयर ने कहा कि नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा दुकानों को हटाने का तरीका गलत है। फुटकर व्यापारियों को बिना विस्थापित किए हटाना ठीक नहीं है। वहीं, गरीबों पर कार्रवाई हो रही है, जबकि बूढ़ा तालाब में चौपाटी का काम पब्लिक विरोध के बावजूद तेजी से चल रहा है। यह दोहरा मापदंड है। मेयर ने यह भी कहा कि निगम में कांग्रेस के महापौर और परिषद पर यह कार्रवाई करवाने का आरोप गलत है।

सीबीआई जांच की मांग
अमलीडीह में कॉलेज के लिए आरक्षित 9 एकड़ जमीन को बिल्डर को सस्ते दामों में आवंटित किए जाने के मामले में मेयर ने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के लिए करोड़ों की भूमि सस्ते दाम पर दी गई, जबकि बाद में भू-भाटक योजना को बंद कर दिया गया। उन्होंने कलेक्टर से लेकर विभाग के मंत्री तक की भूमिका पर सवाल उठाए और प्रधानमंत्री से इस मामले की सीबीआई जांच कराने की अपील की।

मच्छर उन्मूलन में भ्रष्टाचार
मेयर ने मच्छर उन्मूलन अभियान में हुए भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रायपुर में मच्छरों की समस्या को हल करने के लिए ग्लोबल टेंडर बुलाने का इरादा था, लेकिन यह टेंडर नहीं हुआ और दुर्ग की एक एजेंसी को काम सौंप दिया गया, जो पूरी तरह से असफल रही। इस एजेंसी को 65 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जबकि उसकी कार्यक्षमता शून्य रही। उन्होंने कहा कि मच्छर उन्मूलन में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है, जिसे वे मेयर इन काउंसिल की बैठक में उठाएंगे।

यूनिफॉर्म घोटाले पर जांच की मांग
मेयर ने यूनिफॉर्म घोटाले को लेकर भी आवाज उठाई और कहा कि अब इसके संकेत मिलने लगे हैं। उन्होंने बताया कि यूनीपोल कंपनी की चेक बाउंस हो रही हैं और बिल्डर की तलाश जारी है। यह रायपुर नगर निगम का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है, और उन्होंने सरकार से कैट (कैग) से इसकी ऑडिट कराए जाने की मांग की।

अधिकारियों पर दबाव
महापौर ने कहा कि नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी दबाव में काम कर रहे हैं। छोटी-छोटी चीजों के लिए अधिकारियों को ऊपर से फोन आते हैं और मंत्रियों के आदेश पर सारी चीजें चल रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि टेंडर से पहले ही चहेते ठेकेदारों को काम मिल जाता है और उनके काम में गुणवत्ता की कमी होती है। मंत्री और विधायक अपने दबाव से अधिकारियों से काम करवा रहे हैं।