रायपुर। प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा की संगठन की बैठक दूसरे दिन भी ठाकरे परिसर में हुई। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में जल्द ही नगरीय निकाय एवं पंचायत के चुनाव कराये जायेंगे। इन चुनावों में पिछड़ा वर्ग को कितना और कैसे आरक्षण दिया जायेगा, उसे लेकर 2 दिसंबर को छत्तीसगढ़ सरकार की मंत्री परिषद की बैठक होगी और उसमें निर्णय लिया जा सकता है।

भाजपा की बैठक में हुई चर्चा

राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश प्रभारी नितिन नवीन, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव उपस्थिति में पूरी कार्यकारिणी के सदस्य, मंत्री, विधायक यहां मौजूद रहे। बैठक में आज नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर चर्चा हुई। इस पर कल शाम भी सीएम विष्णु देव साय की उपस्थिति में हुई थी। डिप्टी सीएम अरूण साव ने बताया कि निकाय और पंचायत दोनों चुनाव एक साथ कराने पर चर्चा हुई । जन भावना के अनुरूप निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराए जाएंगे। इस पर सरकारी स्तर पर निर्णय के लिए कल कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है। दूसरा, संगठन चुनावों को लेकर हुई चर्चा के हवाले से प्रदेश अध्यक्ष किरण देव सिंह ने बताया कि अलग-अलग जिलों में समन्वय बनाने की दृष्टि से 17 पर्यवेक्षक बनाए गए हैं। जो दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में जाकर बैठके करेंगे। नगरीय निकाय चुनाव के लिए प्रदेश संयोजक के रूप में प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी और पंचायत चुनाव के लिए संयोजक पूर्व विधायक सौरभ सिंह को बनाया गया है।

चरणबद्ध चुनाव होने की संभावना

छत्तीसगढ़ में इस बार नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराये जाने की सुगबुगाहट तेज होती जा रही है। कहा जा रहा है कि दोनों चुनाव एक साथ कराना काफी कठिन होगा, इसलिए चरणबद्ध ढंग चुनाव कराया जायेगा। प्रदेश के पांचों संभागों में अलग-अलग चरणों में यह चुनाव कराये जाने की बात कही जा रही है।

साय ने कहा – हम ऑफेंसिव होकर जायेंगे चुनाव में

इससे पहले मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शनिवार को बैठक में कहा कि इन दोनों चुनाव में भी इसी तरह से भाजपा विजय हासिल करेंगी। उन्होंने कहा जनता के बीच हमें डिफेंसिव होकर जाने की आवश्यकता नहीं है। ऑफेंसिव होकर चुनाव में जाएंगे क्योकि हमने मोदी की गारंटी को पूरा किया है।

निकायों में हो रहे करोड़ों के विकास कार्य

इस मौके पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि प्रदेश में 188 नगरीय निकाय है और निकायों में 3,538 वार्ड हैं। हमारी सरकार बनने के बाद राज्य के सभी नगरीय निकायों को 2 हजार करोड़ रु. की राशि स्वीकृत हुई है। सभी नगरीय निकायों में विकास के काम चल रहे हैं। इसको लेकर प्रदेश में एक माहौल बनाएं। अब फिर हर वर्ग के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए इस चुनाव में हमें जाना होगा।

कैबिनेट में आरक्षण पर लग सकती है मुहर

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कैबिनेट की बैठक 2 दिसंबर को बुलाई गई है। बैठक में छत्तीसगढ़ में निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर ओबीसी आरक्षण मामले में अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट पर कैबिनेट विचार करेगी। आयोग द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण को मंजूरी मिलने की संभावना है।

कैबिनेट के निर्णय के बाद यह मामला राजभवन भेजा जाएगा, जहां से अध्यादेश जारी होने के बाद चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण अब तक नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव का मामला अटका हुआ है।

OBC आरक्षण का इस तरह होगा अनुपात

आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ऐसे निकायों में जहां पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए कुल आरक्षण 50 प्रतिशत या उससे अधिक है, वहां ओबीसी आरक्षण शून्य होगा। हालांकि जहां एससी एसटी का आरक्षण 50 प्रतिशत से कम है, वहां ओबीसी को आरक्षण का लाभ 50 प्रतिशत तक मिलेगा। यह आरक्षण उस निकाय के अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी से अधिक नहीं होगा। निकाय के जिन पदों के आरक्षण राज्य स्तर से तय होते हैं, उसमें जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर निगम महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष जैसे पद शामिल हैं। उन पदों के लिए ऐसे निकायों की कुल जनसंख्या के आधार पर इस फॉर्मूले का पालन करते हुए आरक्षित पदों की संख्या तय होगी।

ओबीसी आरक्षण की सीमा तय होने के बाद नगरीय प्रशासन विभाग सभी निकायों के वार्डों में पार्षद और महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष और नगर पालिका में अध्यक्ष पद के आरक्षण की स्थिति लाटरी के माध्यम से तय करेगा। उसके आधार पर निर्वाचन आयोग चुनाव कराएगा। ओबीसी आरक्षण को मंजूरी मिलने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग 15 दिसंबर के बाद कभी भी चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है।