बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में शिक्षा को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए चलाए गए ‘स्कूल फिर चले अभियान’ को प्रतिष्ठित स्कॉच सिल्वर अवार्ड से सम्मानित किया गया है। तत्कालीन कलेक्टर अनुराग पांडेय के नेतृत्व में, जिला प्रशासन और स्थानीय समुदाय के बीच समन्वय से यह अभियान अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सका।

550 गांवों में घर-घर जाकर किया गया सर्वे
इस अभियान के अंतर्गत, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 20 वर्षों से बंद पड़े 28 स्कूलों को पुनः खोला गया और शिक्षा से वंचित बच्चों को स्कूल तक लाने का काम किया गया। विशेष सर्वेक्षण के तहत 550 गांवों में घर-घर जाकर 6 से 18 वर्ष के लगभग 7,000 बच्चों की पहचान की गई, जिनमें से 4,000 बच्चे या तो शाला त्यागी थे या कभी स्कूल गए ही नहीं थे।
शिक्षा के महत्व पर जागरूकता बढ़ी
विशेष रूप से माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार के लिए किए गए प्रयासों ने सफलता पाई, और अब इन क्षेत्रों के बच्चों को 20 साल बाद शिक्षा का अधिकार मिल रहा है। ग्रामीणों में शिक्षा के प्रति जागरूकता का स्तर बढ़ा है। पहले जहां शिक्षा के महत्व को लेकर जागरूकता की कमी थी।
वहीं अब ग्रामीण शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं और वे बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। इसके साथ ही, शिक्षा के फायदे और सरकारी योजनाओं की जानकारी भी उन्हें दी गई है, जिससे उन्हें अपनी स्थिति सुधारने का अवसर मिला है। अभियान न शिक्षा के लिए एक नई दिशा की ओर कदम बढ़ाए हैं।
24 बंद और 30 नए स्कूलों की शुरुआत
अब बीजपुर में 24 ऐसे स्कूल खोले गए, जो पिछले 20 वर्षों से बंद थे। इसके अलावा 30 से ज्यादा नए स्कूलों की शुरुआत भी की कई है। यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति लाएगा और बच्चों के लिए नए अवसर उत्पन्न करेगा।