टीआरपी डेस्क। भारत ने परिवहन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। भारतीय रेलवे और आईआईटी मद्रास के संयुक्त प्रयास से देश का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक तैयार कर लिया गया है। यह अत्याधुनिक हाई-स्पीड परिवहन प्रणाली न केवल समय की बचत करेगी बल्कि देश के विकास को नई रफ्तार भी देगी।

दिल्ली-जयपुर यात्रा मात्र 50 मिनट में
हाइपरलूप तकनीक के जरिए 250 किमी की दूरी को मात्र 50 मिनट में तय किया जा सकेगा। टेस्ट रन के दौरान ट्रेन ने 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ी। जल्द ही इसे 600 किमी प्रति घंटे और फिर 1000 किमी प्रति घंटे तक टेस्ट किया जाएगा। यह परियोजना दिल्ली-जयपुर और मुंबई-पुणे जैसे प्रमुख मार्गों पर समय बचाने में क्रांति लाने की तैयारी कर रही है।
रेल मंत्री की घोषणा
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रोजेक्ट का वीडियो साझा करते हुए इसे देश के परिवहन क्षेत्र में “गेम चेंजर” बताया। यह हाइपरलूप ट्रैक चेन्नई के पास आईआईटी मद्रास के थायूर डिस्कवरी कैंपस में बनाया गया है, जिसकी कुल लंबाई 410 मीटर है। यह तकनीक वैश्विक मानकों पर खरी उतरने की दिशा में पहला कदम है।
मुंबई-पुणे: 25 मिनट में सफर
हाइपरलूप परियोजना का पहला चरण मुंबई और पुणे के बीच लागू किया जाएगा। इस 150 किमी की दूरी को अब मात्र 25 मिनट में तय किया जा सकेगा। यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो इसे देश के अन्य शहरों जैसे बेंगलुरु-चेन्नई और दिल्ली-चंडीगढ़ के बीच भी लागू किया जाएगा।
हाइपरलूप: कैसे काम करता है?
हाइपरलूप एक विशेष वैक्यूम ट्यूब के भीतर चलता है, जहां वायुमंडलीय घर्षण को समाप्त किया जाता है। ट्रेन चुंबकीय लीविटेशन तकनीक का उपयोग करती है, जिससे यह पटरियों से ऊपर उठकर बिना किसी घर्षण के चलती है। यही तकनीक इसे 1000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंचाने में सक्षम बनाती है।
एलन मस्क की प्रेरणा
हाइपरलूप तकनीक को दुनिया के सामने सबसे पहले एलन मस्क ने पेश किया था। अमेरिका और यूरोप में इस पर पहले से काम हो रहा है। भारत में इसे आईआईटी मद्रास और भारतीय रेलवे ने मिलकर विकसित किया है। यह तकनीक न केवल प्रदूषण मुक्त है, बल्कि ऊर्जा की खपत को भी न्यूनतम स्तर पर रखती है, जिससे यह पर्यावरण के लिए अनुकूल बनती है।
आर्थिक और सामाजिक लाभ
हाइपरलूप परियोजना न केवल तेज और प्रभावी परिवहन प्रदान करेगी, बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा मिलेगा। निर्माण, रखरखाव और संचालन के दौरान हजारों नौकरियां सृजित होंगी। इसके अलावा, बड़े शहरों के बीच तेज़ और किफायती यात्रा से व्यवसाय और पर्यटन को भी फायदा होगा।
शभर में हाइपरलूप के जरिए कई प्रमुख शहरों को जोड़ने की योजना है। इसके तहत बेंगलुरु-चेन्नई, दिल्ली-चंडीगढ़, और हैदराबाद-विजयवाड़ा जैसे मार्गों पर विस्तार किया जाएगा। इससे भारत का परिवहन तंत्र अधिक तेज़, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल बनेगा।
हाइपरलूप तकनीक भारत के विकास में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह न केवल यात्रा का स्वरूप बदलेगी, बल्कि भारत को भविष्य के परिवहन तंत्र में एक अग्रणी स्थान पर ले जाएगी।