विष्णुदेव सरकार का एक साल पूरा, पेश किया कार्याें का ब्योरा
रायपुर। साय सरकार के एक साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने कार्याें का ब्योरा पेश किया। मुख्यमंत्री से TRP News के संपादक उचित शर्मा ने मिनी स्टील प्लांटों के बिजली बिल की दरों पर सवाल किया कि राज्य में उद्योगों का बिजली बिल 7.80 रूपए प्रति यूनिट है, प्रतिस्पर्धी राज्यों से अधिक है। कुछ उद्योग बंद होने की कगार पर है और बाकी भारी नुकसान के साथ मजबूरी में प्लांट का संचालन कर रहे हैं, इस पर आप क्या कहेंगे।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवाब देते हुए कहा कि बिजली बिल की दरों का मामला सरकार के संज्ञान में हैं। इस पर विचार किया जा रहा हैं और जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।
राज्य में मिनी स्टील प्लांट का बिजली यूनिट रेट 7.80 रूपए है। झारखंड में मिनी स्टील प्लांट का बिजली यूनिट रेट 5 रूपए है, वहीं ओडिशा में यह 5.60 रूपए हैं। जबकि छत्तीसगढ़ जो बिजली उत्पादन के लिस्ट में शीर्ष राज्यों में गिना जाता है, वहीं सबसे मंहगे दरों पर बिजली मिल रही है। राज्य में पिछले 6 माह से यही स्थिति बनी हुई हैं और उद्योग जगत में परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।
छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में स्टील का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है, इन तीनों राज्यों में प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिलती हैं। फिलहाल, स्टील का उठाव भी नहीं है और स्टील उद्योग करोड़ों रूपए के नुकसान में चल रहे हैं। कुछ बंद होने के कगार पर है और दो प्लांट बंद हो चुके हैं। प्लांट संचालकों का कहना है कि वर्तमान में प्लांट चलाना संभव नहीं है, बैंक के कर्ज की वजह से इन्हें बंद नहीं कर रहे हैं बल्कि घाटे में प्लांट चलाना अब मजबूरी है।
मिनी स्टील प्लांट के संचालकों ने बताया कि हमने पिछले 6 महीनों में सभी स्तर पर गुहार लगाया है। कई बार मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से मुलाकात हुई लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिला है लेकिन कोई राहत नहीं। जबकि उद्योगों के लिए बिजली दरें 6 रूपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। फिर भी राज्य में 7.80 रूपए की दर से बिजली लेने की मजबूरी है।
उद्योग संचालक कहते हैं कि बिजली बिल की दरें बढ़ने से प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ गया है। परिणामस्वरूप, दुर्गापुर और ओडिशा के उद्योगों की तुलना में हमारे उत्पाद की कीमत ज्यादा हैं। स्टील कारोबारियों को इससे काफी नुक्सान हो रहा है, जो उद्योग सरकार की बिजली पर निर्भर है वे आज बंद होने की कगार पर आ चुके हैं।