0 प्रदेश भर में मिलर्स का 4 हजार करोड़ रूपये है बकाया

रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का काम चल रहा है, मगर अधिकांश जिलों में राइस मिलर्स द्वारा धान का उठाव नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते धान खरीदी केंद्रों में स्टॉक बढ़ता जा रहा है। इसे कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन आदेश का उल्लंघन मानते हुए खाद्य विभाग की टीम द्वारा आज रायपुर, धमतरी, महासमुंद और राजनांदगांव जिले में स्थित राईस मिलों में छापा मारा गया और मिलों को सील करने की कार्रवाई की गई।

खाद्य विभा द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक आर.टी. राईस मिल (प्रो. प्रमोद जैन) के परिसर पर विधिक कार्यवाही की गई।आर.टी. राईस मिल द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में कस्टम मिलिंग हेतु पंजीयन कराने के बाद भी अनुमति एवं अनुबंध का निष्पादन नहीं कराया गया है, शासकीय धान का उठाव नहीं किया जा रहा है।

कार्यवाही के दौरान मिल परिसर में 390 क्विंटल उसना चावल एवं 1200 क्विंटल धान फ्री सेल प्रयोजन हेतु पाया गया, जो कि प्रथम दृष्टया छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन आदेश, 2016 का उल्लंघन है। मिल परिसर को सील कर धान एवं चावल को जब्त कर लिया गया है।

उधर महासमुंद जिले में श्रीवास्तव राईस मिल, नारायण राईस मिल, माँ लक्ष्मी राईस मिल, जिला धमतरी में आकांक्षा राईस मिल, जिला राजनांदगांव में अतुल राईस मिल में जांच टीम द्वारा दबिश दी गई है एवं नियमानुसार जांच कर कार्यवाही की जा रही है।

बृजमोहन अग्रवाल के करीबियों के यहां भी छापा

पता चला है कि राइस मिलर्स एसोसिएशन के महामंत्री प्रमोद जैन, गरियाबंद के अध्यक्ष व नगर पालिका अध्यक्ष गफ्फू मेमन की मिल को सील कर दिया आया है। गफ्फू मेमन सांसद बृजमोहन अग्रवाल के खास समर्थक माने जाते हैं।

राइस मिलर्स एसोसिएशन ने जताया विरोध

जिलों में प्रशासन द्वारा की जा रही इस तरह की कार्यवाही का विरोध राइस मिलर्स एशोसिएसन द्वारा किया जा रहा है। इस संगठन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने TRP न्यूज से चर्चा में बताया कि शासन द्वारा बकाये का भुगतान नहीं किये जाने की वजह से राइस मिलर्स की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके एक सदस्य ने तो आत्महत्या कर ली है, वहीं एक मिलर्स की ब्रेन हेमरेज के चलते मौत हो गई है। कुछ तो शॉक्ड होने के चलते बीमार हो गए हैं। सच तो ये है कि राइस मिलर्स धान का उठाव करने के एवज में बैंक गारंटी जमा करने की हालत में भी नहीं हैं। ऐसे में वे धान का उठाव कैसे करेंगे। दूसरी तरफ शासन द्वारा छापेमारी करके राइस मिलर्स पर दबाव बनाया जा रहा है।

‘हजारों करोड़ का बकाया, कुछ तो करें भुगतान’

योगेश अग्रवाल ने चर्चा में कहा कि प्रदेश भर में कुल 3100 राइस मिलर्स हैं। पूर्व की कांग्रेस सरकार से लेकर अब तक का राइस मिलर्स का लगभग 4 हजार करोड़ रुपया बकाया है। इस मुद्दे पर सरकार से कई बार बात हो चुकी है। हर बार वे बकाये के भुगतान की बात कर रहे हैं, मगर उन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार प्रारंभिक तौर पर भुगतान की शुरुआत तो करे। व्यवसायी कभी भी सरकार का विरोध नहीं करता, मगर पैसे नहीं होने के चलते वे मज़बूरी में धान का उठाव नहीं कर रहे हैं। योगेश ने बताया कि एक दिन पूर्व ही सत्ता पक्ष की ओर से राजधानी में समस्त संभागों से चुनिंदा राइस मिलर्स की बैठक आयोजित की गई। मौके पर इनके ऊपर धान के उठाव का दबाव बनाया गया। इस दौरान भी राइस मिलर्स ने बकाये का भुगतान करवा देने मांग की, मगर मौके पर मौजूद मंत्री और विधायक संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।

योगेश अग्रवाल ने बताया कि इस मौके पर पदाधिकारियों को नहीं बुलाया गया था। हालांकि बैठक में दबाव के चलते मौके पर कई मिलर्स ने धान का उठाव करने की बात कही मगर आज भी राइस मिलर्स एकजुट है और कहीं भी धान का उठाव नहीं कर रहे हैं। कुछ जिलों में धान का उठाव शुरू कर दिए जाने के सवाल पर योगेश अग्रवाल ने कहा कि सिमित संख्या में मिलर्स ने प्रेसर के चलते धान का उठाव शुरू किया है, ऐसा करके राइस मिलर्स को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। राइस मिलर्स की अब भी मांग है कि उनके बकाये का भुगतान किया जाये, अन्यथा वे धान का उठाव करने की हालत में नहीं होंगे।