मंदिर-मस्जिद विवाद पर संघ की पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ के संपादकीय में टिप्पणी
टीआरपी डेस्क। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी पत्रिका ऑर्गनाइजर ने अपने ताजे अंक में मंदिर-मस्जिद विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा है, सोमनाथ से संभल और उससे आगे तक इतिहास की सच्चाई जानने और सभ्यतागत न्याय हासिल करने की लड़ाई जारी है। हालांकि, कुछ दिन पहले ही आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होने के बाद कुछ लोग यह सोचने लगे हैं कि ऐसे मुद्दों को उठाकर वे हिंदुओं के नेता बन सकते हैं।

मैगजीन के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने लिखा, छद्म धर्मनिरपेक्षता की नजरिए से बहस को हिंदू-मुस्लिम तक सीमित करने के बजाय हमें इतिहास पर आधारित सभ्यतागत न्याय प्राप्त करने के लिए विवेकपूर्ण और समावेशी बहस की जरूरत है, जिसमें समाज के सभी वर्गों को शामिल किया जाए।
संपादकीय में यह भी कहा गया कि डॉ. आंबेडकर का अपमान किसने किया, इसे लेकर कोलाहल मचने के बावजूद रिकॉर्ड यह दर्शाते हैं कि कांग्रेस ने उनके साथ कैसा व्यवहार किया। ऐसे में, संभल में हालिया घटनाक्रम ने लोगों को आंदोलित कर दिया।
यूपी के शहर में जामा मस्जिद के रूप में बने श्रीहरिहर मंदिर के सर्वे की याचिका से उत्पन्न विवाद, व्यक्तियों और समुदायों के संवैधानिक अधिकारों की नई बहस को जन्म दे रहा है।
भारत में धार्मिक पहचान, जाति के सवाल से अलग नहीं है। कांग्रेस ने सामाजिक न्याय के कार्यान्वयन में देरी की और चुनावी लाभ के लिए जातिगत पहचान का शोषण किया।
विभाजन के बाद, इतिहास की सच्चाई बताने के बजाय, कांग्रेस और कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने आक्रमणकारियों के पापों को छिपाने का रास्ता अपनाया।