0 अपात्र प्राध्यापकों को बांट दिया एरियर्स
0 दो-दो कुलपतियों ने की अनदेखी
0 अब तो कई प्राध्यापकों को प्रोफेसर भी बना दिया…

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में दो दशक पहले भर्ती किये गए प्राध्यापकों को नियम विरुद्ध तरीके से रेवड़ियां बांटी गई, और लगातार उपकृत किया जाता रहा। यह मामला उजागर होने के बाद भी पूर्व और वर्तमान कुलपति ने इन्हें लाभ देना जारी रखा। अब जाकर जब यह मामला विधानसभा में उठा, तब कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है।
भर्ती के नियमों का किया उल्लंघन
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में 2003 और फिर समय-समय पर सहायक प्राध्यापकों की भर्ती की गई। नियम के मुताबिक इस पद पर भर्ती के बाद 2 वर्ष की परिवीक्षा अवधि होती है और इस बीच नेट की परीक्षा क्लियर करना जरुरी होता है। इस अवधि में भी अगर परीक्षा पास नहीं हुए तो कुलपति को परिवीक्षा अवधि को 1 वर्ष तक बढ़ाने का अधिकार होता है।
सच तो यह है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय में अनेक सहायक प्राध्यापकों ने नेट क्लियर करने में 8 से 9 साल लगा दिए और इस बीच उनकी परिवीक्षा अवधि को बढ़ाया जाता रहा। जबकि नियम के मुताबिक परिवीक्षा अवधि समाप्त होने के बावजूद नेट की परीक्षा पास नहीं होने पर सहायक प्राध्यापक की नौकरी स्वयं समाप्त मानी जाएगी। बताया जा रहा है कि कुछ प्राध्यापकों ने तो अब तक नेट क्लियर नहीं किया है, और वे बड़े पदों पर भी जा पहुंचे हैं। मतलब खुद विश्वविद्यालय के कुलपति और उनके अधीनस्थ नियम कायदों को तोड़ते रहे और उसकी अनदेखी करते रहे।

पुरानी अवधि का भी एरियर्स बांट दिया..!
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में हुए इस घटनाक्रम में जिम्मेदार लोगों ने गलती पर गलती की। कायदे से परिवीक्षा अवधि के दौरान जब नेट की परीक्षा पास की जाय तभी से संबंधित सहायक प्राध्यापक को एरियर्स दिया जाना है मगर 8 से 9 साल की परिवीक्षा अवधि के बाद नेट क्लियर करने वाले सहायक प्राध्यापकों को भी पुरानी अवधि याने नौकरी पाने के 2 साल बाद से लेकर अब तक की अवधि का भी एरियर्स बांट दिया गया। ऐसा कुलपति और कुलसचिव की जानकारी के बिना संभव ही नहीं है। बता दें कि एरियर्स की रकम छोटी-मोटी नहीं लाखों में है।
दबाते रहे फाइल, नहीं की कार्रवाई..
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में हुई इस गड़बड़ी को लेकर कई बार शिकवा-शिकायतें हुईं, पूर्व कुलपति एस के पाटिल की जानकारी में भी यह बात आयी, मगर उन्होंने अनदेखी की, अब दूसरे कुलपति गिरीश चंदेल के संज्ञान में भी यह मामला आया, मगर उन्होंने भी अपनी आँखें मूंद ली और सब कुछ यूं ही चलता रहा।
कई को बना दिया प्रोफेसर
इस विश्वविद्यालय में एरियर्स का मामला उजागर होने के बाद न तो वसूली हुई और न ही दूसरी कार्रवाई। हद तो तब हो गई, जब कई सहायक प्राध्यापकों को प्रोफेसर बना दिया गया है। नियम कहता है कि परिवीक्षा अवधि खत्म होने तक नेट की परीक्षा पास कर ली जाये, उसके बाद ही एरियर्स और सीनियरटी का लाभ मिल सकेगा। अनेक सहायक प्राध्यापकों ने जिस वक्त नेट क्लियर किया तब की बजाय उन्हें नौकरी ज्वाइन करने के 2 वर्ष के बाद से ही वरिष्ठता का लाभ देते हुए अब प्रोफेसर बना दिया गया है। सब कुछ जानते हुए वर्तमान कुलपति गिरीश चंदेल ने ऐसा किया और यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
कुलपति चंदेल पर उठ रहे सवाल
IGKV के कुलपति गिरीश चंदेल की नियुक्ति से लेकर अब तक के कामकाज पर कई सवाल उठते रहे हैं। उनकी नियुक्ति भी संदेह के दायरे में रही और इससे पूर्व प्राध्यापकों द्वारा राजभवन में किया गया प्रोटेस्ट भी चर्चा में रहा। इवेंट ऑर्गनाइजर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले गिरीश चंदेल ने नियम विरुद्ध एरियर्स और पदोन्नति का लाभ लेने वाले प्राध्यापकों को संरक्षण दिया, उसके पीछे भी लेन-देन की बात सामने आ रही है। उन्होंने जिस तरह अपात्रों को प्रोफेसर बना दिया, उससे रिश्वतखोरी के आरोपों को भी बल मिलता है।
विधानसभा में उठा मामला
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध एरियर्स दिए जाने के मामले में कोई कार्यवाही नहीं किये जाने को लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा में MLA विक्रम मंडावी ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिये यह मामला उठाया, तब सरकार ने भी गंभीरता दिखाई है। विधानसभा में चर्चा के बाद छत्तीसगढ़ शासन कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग मंत्रालय के अवर सचिव अमित कुमार सिंह ने विश्विद्यालय प्रबंधन को पत्र लिखकर मामले में जांच के निर्देश दिए हैं।
सरकार ने गठित की दो सदस्यीय कमेटी
अवर सचिव अमित कुमार सिंह ने इस मामले की जांच के लिए कुल सचिव जीके निर्माम और लेखा नियंत्रक उमेश अग्रवाल की दो सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश जारी किया है। अवर सचिव ने स्पष्ट तौर पर लिखा है कि इस प्रकरण में नियमों के प्रतिकूल कार्यवाही करते हुए वेतनवृद्धि तथा अन्य स्वत्वों का लाभ दिया जाना नजर आ रहा है। इसे देखते हुए इस संबंध में आवश्यक परीक्षण कर जारी शासनादेशों के अंतर्गत यथा आवश्यक कार्यवाही हेतु संयुक्त हस्ताक्षर से 15 दिवस के भीतर प्रस्ताव भेजने का निर्देश अवर सचिव नेदिया है।

सालों बाद अब कार्यवाही की उम्मीद
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में जिन सहायक प्राध्यापकों को लाभ दिया गया है उनकी संख्या 55 से 60 के करीब है और बताया जा रहा है कि कई ने अब भी नेट क्लियर नहीं किया है। मामले की जांच तो पहले ही हो चुकी थी। मंत्रालय ने इस प्रकरण में कार्यवाही संबंधी प्रस्ताव मांगा है। नए साल में विश्वविद्यालय में बड़ा धमाका होने की उम्मीद जताई जा रही है। विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक ने TRP न्यूज को बताया कि फिलहाल आंकड़े तैयार किये जा रहे हैं और 15 दिनों के भीतर प्रस्ताव भेज दिया जायेगा। इसके बाद सरकार को फैसला करना है कि इस गड़बड़ी में किस तरह की कार्यवाही करनी है।
IGKV में प्राध्यापकों के प्रोटेस्ट V/S प्रमोशन के पीछे की क्या कहानी है, इसके बारे हम आपको अगले एपिसोड में बताएंगे। फिलहाल देखना यह है कि अब जब पूरा घोटाला खुलकर सामने आ गया है, तब कुलपति चंदेल भी अपनी कुर्सी सलामत रख पाएंगे या नहीं यह देखना अभी बाकी है।