0 बढ़ने वाली हैं कवासी लखमा की मुश्किलें
0 3 जनवरी को पूछताछ के लिए तलब किया है ED ने

रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के ठिकानों पर छापेमारी के बाद जानकारी दी है कि छापे में इस बात के पक्के सबूत मिले हैं कि लखमा ने घोटाले की रकम नकद में हासिल की है। इसके अलावा जब्त डिजिटल डिवाइस में भी आपत्तिजनक रिकॉर्ड मिले हैं।
ED ने दी ये जानकारी
प्रवर्तन निदेशालय (ED), रायपुर ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत 28 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित सात परिसरों में तलाशी अभियान चलाया। तलाशी अभियान पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के आवासीय परिसर में भी चलाया गया, जो कथित तौर पर आबकारी मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान नकदी में अपराध की आय (POC) के मुख्य प्राप्तकर्ता थे। उनके बेटे हरीश लखमा और उनके करीबी सहयोगियों के आवासीय परिसरों में भी तलाशी ली गई। तलाशी अभियान के परिणामस्वरूप, ईडी घोटाले की प्रासंगिक अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा नकद में POC (Proceeds Of Crime) के उपयोग से संबंधित साक्ष्य जुटाने में सक्षम रहा है। इसके अलावा, तलाशी में कई डिजिटल डिवाइस बरामद और जब्त की गईं, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड हैं।
हर महीने मिलती थी बड़ी रकम
ED की जांच में पहले ही पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले से उत्पन्न POC का अनुमान लगभग 2161 करोड़ रुपये है। ईडी की जांच में पता चला है कि कवासी लखमा शराब घोटाले से उत्पन्न पीओसी से मासिक आधार पर नकद में बड़ी राशि प्राप्त करते थे। 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में ईडी की जांच में पता चला है कि पीओसी अवैध कमीशन के रूप में कई तरीकों से उत्पन्न किया गया था :
भाग-ए कमीशन : सीएसएमसीएल यानी शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के प्रति ‘केस’ के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी।
भाग-बी कच्ची शराब की बिक्री : बेहिसाब “कच्ची ऑफ-द-बुक” देशी शराब की बिक्री। इस मामले में, एक भी रुपया राज्य के खजाने तक नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी आय सिंडिकेट ने हड़प ली। अवैध शराब केवल सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी।
पार्ट-सी कमीशन: शराब बनाने वालों से रिश्वत लेकर उन्हें कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी दिलाने के लिए रिश्वत ली जाती है।
एफएल-10 ए लाइसेंस धारकों से कमीशन, जिन्हें विदेशी शराब के क्षेत्र में भी कमाई के लिए लाया गया था।
ED ने बताया है कि इस मामले में, 205 करोड़ रुपये (लगभग) की संपत्ति कुर्क करने का एक आदेश पहले ही जारी किया जा चुका है। अब तक इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है और अभियोजन शिकायत के साथ-साथ दो पूरक पीसी दायर किए गए हैं, जिनमें विशेष न्यायालय (PMLA), रायपुर द्वारा पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है। मामले में आगे की जांच जारी है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), रायपुर ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत 28.12.2024 को छत्तीसगढ़ के रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित सात परिसरों में तलाशी अभियान चलाया। तलाशी अभियान के परिणामस्वरूप, ईडी घोटाले की…
— ED (@dir_ed) January 2, 2025
लखमा को दूसरी बार समन जारी किया है ED ने
गौरतलब है कि कवासी लखमा के ठिकानों पर छापेमारी के बाद ईडी ने उन्हें समन जारी किया था। लेकिन ना तो कवासी लखमा और ना ही उनके बेटे हरीश लखमा ED के सामने हाजिर हुए, जिसके बाद उन्हें दूसरा समन जारी किया गया है। उन्हें 3 जनवरी को ED के समक्ष पेश होना है। छापे के बाद कवासी लखमा ने दावा किया कि उनके अनपढ़ होने का फायदा अधिकारियों ने उठाया है। अधिकारी जहां बोलते थे, वो फाइल में हस्ताक्षर किया करते थे। अब ED की पूछताछ के बाद किस तरह की कार्रवाई होगी इस पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।