टीआरपी डेस्क। बांग्लादेश में गिरफ्तार हिंदू संत और ISKCON के पूर्व प्रचारक चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। गुरुवार (2 जनवरी) को चटगांव मेट्रोपॉलिटन सेशन्स कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। 52 दिनों से जेल में बंद चिन्मय कृष्ण दास के मामले में कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच फैसला सुनाया।

11 वकीलों की दलीलें भी नहीं मानी गईं
चिन्मय कृष्ण दास के पक्ष में बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के 11 वकीलों की टीम ने जोरदार दलीलें पेश कीं। सुबह 10:15 बजे शुरू हुई सुनवाई में उन्होंने जमानत के पक्ष में कई तर्क दिए, लेकिन जज मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने इसे खारिज कर दिया। मेट्रोपॉलिटन पब्लिक प्रॉसिक्यूटर मुफिजुर हक भुईयां ने बताया कि कोर्ट ने कानूनी प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
कड़ी सुरक्षा में हुई सुनवाई
यह मामला बांग्लादेश का हाई-प्रोफाइल केस बन चुका है। सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। चिन्मय कृष्ण दास को 30 अक्टूबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था। उन पर राजद्रोह और बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है।
क्या है मामला?
25 अक्टूबर 2024 को चटगांव के ललदीघी मैदान में हिंदुओं की एक रैली का नेतृत्व चिन्मय कृष्ण दास ने किया था। यह रैली बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ आयोजित की गई थी। आरोप है कि इस रैली में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर केसरिया झंडा फहराया गया था। इसके पांच दिन बाद, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, चिन्मय दास ने कहा कि उनका राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था।
चिन्मय दास के समर्थन में विरोध प्रदर्शन
उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। गुरुवार को चटगांव मजिस्ट्रेट कोर्ट के बाहर ISKCON समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन कर उनकी रिहाई की मांग की। बांग्लादेश के वकील रवींद्र घोष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर ध्यान देने की अपील की है।
भारत ने जताई चिंता
भारत सरकार ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर चिंता जाहिर की है। यह मामला न केवल बांग्लादेश बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। ISKCON जैसे बड़े संगठन के पूर्व प्रचारक की गिरफ्तारी ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हो रही ज्यादतियों को फिर से उजागर किया है।