रायपुर। मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा, इस समय छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों में जोरों पर है। लेकिन उससे ज्यादा बातें निकाय और पंचायत चुनाव की हो रही है। दोनों विषयों को एक साथ जोड़कर देखा जाए तो असमंजस्य की स्थिति दिखाई दे रही थी, जबकि अब यह स्पष्ट हो चुका है कि चुनाव के बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।

दरअसल, पूरे घटनाक्रम को अगर जोड़कर देखा जाएं तो ऐसा लगता है कि पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और उसके बाद चुनाव। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का राज्यपाल से मिलना, शपथ समारोह की तैयारियां जैसी सुगबुगाहट, चुनाव के आरक्षण प्रक्रिया आगे बढ़ने से लोगों के मन में असमंजस्य की स्थिति पैदा हुई और यही अटकलें लगाई जा रही थी कि पहले नए मंत्री शपथ लेंगे फिर चुनाव होगा।

इधर, प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन 9 जनवरी को मंत्रिमंडल की बैठक लेंगे। बैठक में भाजपा के सभी विधायक मौजूद रहेंगे। जानकार बताते है कि पहले मंत्रिमंडल के विस्तार से निकाय और पंचायत चुनाव पर बुरा असर पड़ सकता है, इसलिए पहले चुनाव कराने पर जोर दिया जा रहा है।

मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए संगठन किसी को नाराज नहीं करना चाहता क्योंकि इससे निकाय-पंचायत चुनाव प्रभावित हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, मंत्रिमंडल का विस्तार चुनाव के बाद किया जाएगा और नाराज धड़ों को निगम-मंडलों में स्थाना दिया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार राज्य में मंत्री पद के लिए चेहरे फाइनल नहीं हुए हैं। इसका बड़ा कारण है, संगठन में गुटबाजी। भाजपा के अलग-अलग ध्रुव मुख्यमंत्री पर यह दबाव बना रहे हैं कि उनके चहेतों को मंत्री बनाया जाए जबकि दिल्ली से यह स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि मंत्रिमंडल में नए चेहरों को स्थान दिया जाए। इन परिस्थितियों में मंत्रिमंडल के विस्तार में विलंब हो रहा है।

हालांकि, अब चुनाव में आरक्षण की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। कुछ ही दिनों में मतदाता सूची का प्रकाशन होना है, उसके बाद चुनाव की तिथि की घोषणा होगी, साथ ही आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। ऐसे में चुनाव को अब किसी कीमत पर आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने अपने बयान में यह कहा भी है कि चुनाव टलेगा नहीं थोड़ी देरी जरूर हुई है इसलिए प्रशासक बैठना पड़ा लेकिन चुनाव होगा।