टीआरपी डेस्क। महाकुंभ मेले को लेकर अब केवल आस्था नहीं, बल्कि यह आयोजन वैश्विक स्तर पर शोध का भी प्रमुख विषय बन चुका है। भारत के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन की गहराई से पड़ताल करने के लिए अब दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालय और संस्थान आगे आ रहे हैं।

इन संस्थानों में हार्वर्ड विश्वविद्यालय, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, एम्स, आइआइएम (अहमदाबाद, इंदौर, बंगलुरू), आइआइटी (कानपुर, अहमदाबाद), जेएनयू, डीयू, लखनऊ विश्वविद्यालय और अन्य शामिल हैं। ये संस्थान महाकुंभ के प्रबंधन, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, पर्यावरणीय चुनौतियों, स्वास्थ्य प्रबंधन, पर्यटन और डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग पर गहन शोध करेंगे।

महाकुंभ: सांस्कृतिक और धार्मिक समागम

महाकुंभ मेले को 2017 में यूनेस्को द्वारा “अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर” के रूप में मान्यता प्राप्त हुई थी। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह खगोलशास्त्र, ज्योतिष, आध्यात्मिकता, और सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं का एक अद्वितीय संगम भी है। इस विशाल आयोजन के दौरान प्रयागराज में एक अस्थायी नगरी का निर्माण किया जा रहा है, जो आधुनिक शहरी नियोजन, बुनियादी ढांचे और प्रबंधन का बेहतरीन उदाहरण है।

महाकुंभ पर शोध के लिए पहल

राज्य सरकार ने महाकुंभ मेले पर शोध करने के लिए विभिन्न शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों से प्रस्ताव मांगे थे। शोध के लिए दो प्रमुख श्रेणियाँ निर्धारित की गई थीं:

  1. महाकुंभ की योजना और क्रियान्वयन
  2. आयोजन का आर्थिक प्रभाव और परिणाम

इनमें भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा रणनीतियाँ, सांस्कृतिक राष्ट्रीयता का प्रभाव, पर्यटन प्रोत्साहन, डिजिटल तकनीक का उपयोग (जैसे बायोमेट्रिक, एआइ, साइबर सुरक्षा), स्वास्थ्य प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, पर्यावरणीय अध्ययन और शहरी ढांचे का विकास शामिल हैं।

ये संस्थान करेंगे शोध

  1. हार्वर्ड विश्वविद्यालय: मानवशास्त्रीय अध्ययन और खाद्य वितरण पर शोध करेगा। यह भोजन और पेयजल के वितरण और शहरी अवसंरचना प्रबंधन का विश्लेषण करेगा।
  2. आइआइएम इंदौर: पर्यटन, मीडिया की भूमिका और सोशल मीडिया प्रबंधन पर शोध करेगा।
  3. जेएनयू: महाकुंभ के सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव और आर्थिक परिणामों का अध्ययन करेगा।
  4. दिल्ली विश्वविद्यालय: महाकुंभ के दार्शनिक और राष्ट्रीय एकता से जुड़े पहलुओं पर शोध करेगा।
  5. आइआइएम (बैंगलोर और अहमदाबाद): कुशल रणनीतिक प्रबंधन, योजना और शहरी अवसंरचना प्रबंधन पर शोध करेंगे।
  6. एम्स: स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन पर, विशेष रूप से आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया के लिए स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी पर शोध करेगा।
  7. आइआइटी कानपुर: डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग के तहत सोशल मीडिया की भूमिका पर शोध करेगा।
  8. बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन: महाकुंभ के पर्यावरणीय दस्तावेज़ीकरण पर अध्ययन करेगा।
  9. आइआइटी मद्रास: जल और अपशिष्ट प्रबंधन का आकलन करेगा।
  10. संस्कृति फाउंडेशन हैदराबाद: तीर्थयात्रियों की पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता पर अध्ययन करेगा।
  11. आइआइटी मद्रास, बीएचयू, एमएनएनआइटी: परिवहन और यातायात प्रबंधन की चुनौतियों पर अध्ययन करेंगे।
  12. नेशनल इंस्टीट्यूट आफ अर्बन अफेयर्स: महाकुंभ 2025 के आर्थिक प्रभाव का आकलन करेगा।

महाकुंभ के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

इन शोधों के परिणाम न केवल महाकुंभ के आयोजन को और बेहतर बनाने में मदद करेंगे, बल्कि इसके सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को भी समझने में सहायक होंगे। यह आयोजन देश और दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन का विषय बन चुका है, जो न केवल धार्मिक आस्था बल्कि सामाजिक संरचना, पर्यावरणीय चुनौतियाँ और डिजिटल तकनीक के उपयोग के पहलुओं को भी उजागर करेगा।