क्या है गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में 50 प्रतिशत छूट का असल सच, पढ़िए और सावधान रहिए…

रायपुर। ऑटो एक्सपो में कार खरीदने वालों के लिए साय सरकार केबिनेट ने बड़ी छूट देने की घोषणा की है। ऑटो एक्सपो से कार खरीदने वाले ग्राहकों को लाइफ टाइम रोड टैक्स पर 50 प्रतिशत की छूट दिया जाएगा। यह ऑटो एक्सपो 15 जनवरी से 15 फरवरी तक चलने वाला है।

यह तो प्रशासकीय बातें है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी छूट आपको क्यों मिलने वाली है? चलो आपको बताते है इस छूट के पीछे का पूरा समीकरण। दरअसल, यह पुरानी यानी 2024 मॉडल की गाड़ियों जो बिकने से बच गई, उसे बेचने का एक तरीका है। फिलहाल इस समय 2024 की लगभग दो हजार से ज्यादा गाड़ियां ऐसी है, जो बिकी नहीं है। वहीं, 2025 की नई गाड़ियां बाजार में आने वाली है। अब कंपनियां पर भी यह दबाव है कि पुराना स्टॉक जल्दी बेच कर नए मॉडल शोरूम में रखे जाए। इस प्रेशर से बचने ऑटोडीलर एक्सपो का सहारा ले रही है ताकी पुरानी गाड़ियां बिक जाए।

ग्राहकों को कैसे होगा नुकसान
2024 की गाड़ियों को 2025 में खरीदने से ग्राहकों को क्या नुकसान हो सकता है? कोई उपभोक्ता कार खरीदता है तो पहले ही वह तय करता है कि यह गाड़ी उसे कब तक चलानी है और कब बेचनी है। क्योंकि हर कार की एक लाइफ होती है, जिसके खत्म होने से पहले ही गाड़ी को बेचने पर ही उसकी अच्छी रिसेल वैल्यू मिलती है। लोग गाड़ी की मैन्यूफैक्चरिंग ईयर देखकर ही गाड़ी खरीदते है और उसके अनुसार आगे की प्लानिंग करते है, यानी दूसरी गाड़ी लेने की।

यदि वह 2024 की गाड़ी 2025 में खरीदता है और 2030 में बेचता है तो एक साल पुराने होने का नुकसान उठाना पड़ेगा। क्योंकि गाड़ी की कीमत वर्ष के आधार पर निर्धारित की जाती है। यानी 2024 की गाड़ी को अगर 2025 में खरीदा जाए तो आप हमेशा एक साल के नुकसान में रहने वाले है। इसीलिए इन गाड़ियों के लाइफ टाइम रोड टैक्स पर 50 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।

50 प्रतिशत की छूट पाने लोग ऑटो एक्सपो से गाड़ियां खरीदेंगे। तो मान लीजिए कि जब कोई 6 लाख की गाड़ी खरीदेगा तो उसे रजिस्ट्रेशन के लिए 60 हजार लगेंगे लेकिन ऑटो एक्सपो में इस पर 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी। इससे आज आपके 30 हजार रूपए तो बच जाएंगे लेकिन भविष्य में 2 लाख का नुकसान भी होगा, जब गाड़ी को बेचा जाएगा।

सरकार को होगा कितना नुकसान
सरकार ने नुकसान को नजरअंदाज करते हुए यह तर्क दिया है कि हम अगर ऑटो एक्सपो में रोड टैक्स में छूट देकर एक साथ गाड़ियां बेचेंगे तो ज्यादा राजस्व मिलेगा। जबकि किसी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के लिए उसकी ऑनरोड कीमत पर 10 प्रतिशत का शुल्क लगता है। जैसे कि अगर कोई गाड़ी एक लाख रूपयों की है तो रजिस्ट्रेशन फीस 10 हजार रूपए होगी।

वहीं, ऑटो एक्सपो में गाड़ी खरीदने से 50 प्रतिशत छूट मिलेगी यानी 10 हजार की जगह केवल पांच हजार रूपए लगेंगे। हालांकि इससे राजस्व का नुकसान होगा। सरकारी तर्क के अनुसार अगर साल में 100 गाड़ियां बिकती है तो मेले में 150 गाड़ियां बिकेगी, जिससे सरकार के राजस्व में एकमुश्त वृद्धि होगी।

यह ऑटो एक्सपो केवल रायपुर में लगेगा। अब दूसरे जिलों के लोग गाड़ी खरीदने आएंगे तो उनके जिलों में सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होगा। सरकार इतने नुकसान के बाद भी ऑटो एक्सपो कराने जा रही है यानी साफ है कि कहीं न कहीं कंपनियों और सरकार यह जुगलबंदी है, जो एक वर्ग को फायदा पहुंचाने आमजन के नुकसान की नहीं सोच रही है।

ऑटो एक्सपो जनवरी में ही क्यों?
ऑटो एक्सपो के आयोजन अब सवाल उठने लगे है क्योंकि इसे नए साल यानी 2025 में क्यों हुआ? ऑटो एक्सपो नवंबर में हो सकती थी, जब राज्योत्सव में शामिल होने लाखों लोग पहुंचते है। यह ऑटो एक्सपो 15 अगस्त या दिवाली के पहले क्यों नहीं लगाया गया? इस दौरान बड़ी संख्या में लोग गाड़ियां खरीदते और राजस्व भी ज्यादा प्राप्त होता। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद यह कार खरीदने वालों के लिए नुकसान का सौदा होगा।

ऑटो एक्सपो या पुरानी गाड़ियों को बेचने की जुगत
कुछ डीलर और सरकार की जुगलबंदी पर ऑटो एक्सपो का आयोजन किया जा रहा है। वहीं, इस आयोजन में दूसरे जिलों और डीलरों के होने वाले नुकसान के बारे में नहीं सोचा गया। सरकार को इस तरह के आयोजनों से बचना चाहिए। ऐसे आयोजन से केवल कुछ लोगों को लाभ होगा और बाकी इसका नुकसान ढोएंगे।

डीलरों ने सरकार को कैसे तैयार किया, यह तो अंदर की बात है लेकिन कितना उचित है, इसका चिंतन सरकार को करना चाहिए। जब ऑटो एक्सपो से राजस्व बढ़ता है तो न्यूनतम 50 हजार की कैपिंग छोटे और मझोले डीलरों को मिलनी चाहिए। छोटी गाड़ियों की बिक्री ज्यादा होती है, इस प्रकार से सरकार को ज्यादा राजस्व मिलता लेकिन इस दिशा में प्रयास नहीं किया गया क्योंकि फायदा चुनिंदा और बड़े लोगों को होना है।

हम रजिस्ट्रेशन में मिलने वाली छूट के पक्ष में है लेकिन इसके पीछे जो नुकसान सरकार होगा उसकी भरपाई कौन करेगा। कुछ उद्योगों को फायदा पहुंचाने का यह कदम अपने पीछे कितने को नुकसान पहुंचाने वाला है, इसका अंदाजा नहीं लगाया गया है। सरकार को ऐसे आयोजनों से बचना चाहिए साथ ही विशेषज्ञों से इसका विश्लेषण कराना चाहिए कि इससे कैसे फायदा या नुकसान होगा। यदि फायदा होता है तो समय-समय पर ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए, लेकिन साल में केवल एक बार ही ऐसा क्यों?

ऑटो एक्सपो के पहले हाईकोर्ट में कैविएट
राजधानी में होने जा रहे ऑटो एक्सपो को लेकर हाईकोर्ट में परिवहन विभाग ने कैविएट दायर किया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी पक्ष द्वारा एक्सपो के खिलाफ याचिका दायर किए जाने पर न्यायालय परिवहन विभाग को सुने बिना कोई आदेश पारित न करे। अब सरकार ऐसे कैविएट लगाकर किसे बचाना चाह रही हैं? हाईकोर्ट में कैविएट लगाकर विभाग चाहता है कि बिना किसी विघ्न के ऑटो एक्सपो का आयोजन हो जाए, यानी सांप मर जाए और लाठी भी न टूटे।

ऑटो एक्सपो के आयोजन पर रायपुर के आरटीओ आशीष देवांगन ने कहा है कि ऑटो एक्स्पो का आयोजन रायपुर में होगा। इस एक्सपो में कोई भी गाड़ी खरीद सकता है, इसमें जिलेवार कोई बाध्यता नहीं होगी। जहां तक 50 प्रतिशत रजिस्ट्रेशन में छूट की बात है, यह कैबिनेट का फैसला है। राजस्व की गणना गाड़ियों के बिक्री के बाद होगी, जितनी गाड़ियां बिकेगी उसके अनुसार यह पता चलेगा।

आखिर जो नुकसान राजस्व का होगा, उसकी भरपाई कहां से होगी? सरकार को उद्योगों और डीलरों से इसे वसूलना चाहिए क्योंकि यह टार्गेट का मामला है और गाड़ियां बिकेंगी तो फायदा उद्योगों को होगा। लेकिन जब नुकसान सरकार का हो तो इसकी भरपाई तो होनी चाहिए। वैसे भी सरकार महतारी वंदन योजना जैसी फ्लैगशिप योजनाओं के बोझ तले दबी हुई है।

वहीं, खरीदारों को सतर्क रहने की आवश्यकता है कि वे ऑटो एक्सपो में गाड़ी खरीदते समय मैन्यूफैक्चरिंग और बिलिंग की तारीख को ध्यान से देखें। इसमें साल का अंतर न हो, नहीं तो नुकसान आपका ही होगा।