0 पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने भी ट्वीट कर जताया विरोध

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि पूरे छत्तीसगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष का एक भी पद ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं है, जबकि यहां आधी आबादी ओबीसी की है, प्रदेश की आधी आबादी जो अन्य पिछड़ा वर्ग का है, उस बहुसंख्यक आबादी के साथ भाजपा की साय सरकार अन्याय कर रही है। बैज ने कहा कि पिछड़ा वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण का दावा करने वाले भाजपाई गायब हैं और भाजपा के ओबीसी नेता दलीय चाटुकारिता में चुप है।

‘संशोधन के चलते OBC आरक्षण प्रभावित’

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण प्रावधानों किए गए दुर्भावना पूर्वक संशोधन के चलते अधिकांश जिला और जनपद पंचायतों में भी ओबीसी आरक्षण खत्म हो गया है। प्रदेश के 16 जिला पंचायत और 85 जनपदों में जहां पहले 25 प्रतिशत सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हुआ करती थी, अब अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया है। पूर्व में ओबीसी के लिए आरक्षित ये सभी सीटें अब सामान्य घोषित हो चुकी है। साय सरकार के द्वारा आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में किए गए संशोधन के बाद अनुसूचित जिले और ब्लॉकों में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और पंचों का जो भी पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था, वह अब सामान्य सीटे घोषित हो गई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार की बदनीयती से चलते अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं। स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण के संदर्भ में साय सरकार ने जो संशोधन किया है वह ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय है, अत्याचार है। बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में ओबीसी वर्ग के लिए कुछ बचा ही नहीं जबकि यहां बड़ी आबादी ओबीसी वर्ग की है, भाजपा सरकार ने दुर्भावना पूर्वक संशोधन करके पिछड़ा वर्ग के प्रतिभागियों के अधिकार को कुचल दिया है।

बघेल ने कहा- जो आशंका जताई थी वही…

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस मुद्दे पर X पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि – आख़िर वही हुआ जिसकी आशंका मैंने व्यक्त की थी। पूरे प्रदेश में एक भी ज़िले में अब पिछड़े वर्ग के ज़िला पंचायत अध्यक्ष के लिए पद आरक्षित नहीं होगा। जिस प्रदेश में लगभग पचास प्रतिशत आबादी पिछड़े वर्ग की है वहां उनको कोई आरक्षण न देना भाजपा की सोच ही हो सकती थी। इस सूची को रद्द कर नई संशोधित सूची जारी करनी चाहिए।