नेशनल डेस्क। किसी मंत्री या सांसद के घर में कितने वोटर हो सकते हैं, दो रूम के एक फ्लैट में कितने लोग रह सकते हैं, अगर यह आपसे पूछा जाए तो आपका जवाब क्या होगा? शायद 4 से 5 या फिर ज्यादा से ज्यादा 7-8… आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली में भाजपा के अनेक पूर्व और वर्तमान सांसदों के आवास के पते से 25 से लेकर 33 वोटर का नाम मतदाता सूची में जोड़ने का आवेदन किया गया है।

सांसदों में केंद्रीय मंत्री भी शामिल
राज्यसभा सांसद और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने इसका खुलासा करते हुए एक-एक सांसद और केंद्रीय मंत्री का नाम लेकर बताया है कि उनके घर से कितने वोटरों का नाम मतदाता सूची में जुड़वाने के लिए आवेदन किए गए हैं। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फेंस में कंेद्रीय मंत्रियों, सांसदों और पूर्व सांसदों के नाम लिया, जिन्होंने ऐसे आवेदन किए हैं।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी के सरकारी आवास से 26 वोटर बढ़ाने के आवेदन आयोग को मिले हैं। वहीं, बीजेपी सांसद सीपी जोशी के सरकारी पते से 28 वोटर, केंद्रीय मंत्री कमलेश पासवान के पते से 26 वोटर, सांसद जय प्रकाश रावत के पते से 25 वोटर, सांसद सतीश गौतम के पते से 23 वोटर, साथ ही सांसद सीएम रमेश के सरकारी बंगले से 16 वोटर बढ़ाने का आवेदन निर्वाचन आयोग के पास पहुंचा है।
इसी तरह बीजेपी सांसद धरमवीर सिंह के पते से 15 वोटर और राज्यसभा के सांसद सुरेंद्र सिंह नागर के पते से 14 वोटर जोड़ने का आवदेन किया गया है। भारतीय जनता पार्टी के केवल इन्हीं 8 सांसदों के घर से 173 वोटरों के नाम दिल्ली विधानसभा के मतदाता सूची में जोड़ने के आवेदन किए गए हैं। संजय सिंह ने सवाल उठाया कि क्या इतने लोग सांसद के घर पर रहते हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद कैसे बढ़ गए वोटर
सांसद तो सांसद, पूर्व सांसद भी इस रेस में आगे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट से बीजेपी के प्रत्याशी प्रवेश वर्मा के सरकारी पते से 33 वोटर के नाम जोड़ने के आवेदन आयोग के पास पहुंचे हैं, जबकि लोकसभा चुनाव से पहले यहां केवल 4 वोटर थे। आरोप है कि प्रवेश वर्मा पूर्व सांसद होकर भी आठ महीनों से सांसद के बंगले पर काबिज हैं और इसी बंगले से ही यह आवेदन किया गया है। प्रवेश वर्मा को 2024 लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं मिला था। अब उन्हें चुनावी रण में अरविंद केजरीवाल के सामने बीजेपी प्रत्याशी के रूप उतारा गया है।
15 दिनों के भीतर ही दिए गए आवेदन
संजय सिंह ने केवल सांसद और मंत्री ही नहीं बीजेपी के पूर्व सांसदों और नेताओं का नाम लेकर बताया कि उनके घर से कितने वोटरों के नाम के आवेदन पिछले 15 दिनों में दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि एक सांसद का पता मुखर्जी स्मृति न्यास है, जहां से 31 वोटरों का नाम जोड़ने का आवेदन आया है। वैसे ही साउथ एवेन्यू में एक पूर्व सांसद हैं बीजेपी के रेवती त्रिपुरा, जिन्हें गेस्ट एकोमोडेशन के रूप में जगह मिली है, उन्होंने 25 वोटरों का नाम जोड़ने का आवेदन पेश किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री से लेकर भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद तक इस तरह के फर्जीवाड़े कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने एक घंटे में खाली किया था आवास
लोेकसभा से जब सांसद राहुल गांधी की सदस्यता चली गई थी तो उन्होंने एक घंटे के भीतर ही अपना सरकारी आवास खाली कर दिया था। नियम भी यही है कि सांसदी चली जाने के एक महीने के अंदर सरकारी आवास खाली करना होता है। राहुल गांधी को इस संबंध में लोकसभा की हाउस कमेटी ने 30 दिनों के अंदर सरकारी आवास खाली करने का नोटिस थमाया था। सवाल यह उठता है कि पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को ऐसा कोई नोटिस क्यों नहीं थमाया गया?
चुनाव आयोग ने जांच के दिए हैं आदेश
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की थी, जिस पर यह आदेश दिए गए थे कि पार्टी ने जो आरोप पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा के खिलाफ लगाए हैं, उसकी जांच की जाए। साथ ही मामले में असल तथ्यों का पता लगाया जाए और आचार संहिता के अलावा चुनावी प्रक्रिया के कानून के अंतर्गत कार्यवाही करे। इस मामले में अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
संजय सिंह ने आगे बताया कि नई दिल्ली में एक वाल्मिकी मंदिर है, जहां से 44 वोटर के नाम जुड़वाने के आवदेन किए गए हैं। वैसे ही वीपी हाउस के दो रूम के कमरे से 24 वोटर के नाम मतदाता सूची में जुडवाने के लिए आवेदन पहुंचे हैं। क्या इस तरह से चुनाव जीता जा रहा है, अगर मतदाता सूची में इस तरह से सेंध लगा दी जाएगी तो क्या बचेगा?
महाराष्ट्र में बढ़े 48 लाख वोटर!
उधर, कांग्रेस के नेता प्रवीण चक्रवर्ती ने महाराष्ट्र के मतदाताओं को लेकर एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में पांच साल में, यानी 2019 से 2024 के बीच 32 लाख नए वोटर जोड़े जाते हैं। वहीं, 2024 में केवल चार महीनों में, यानी लोकसभा चुनाव के बाद 48 लाख वोटर जोड़ दिए जाते हैं। केवल चार महीनों में 48 लाख वोटर कैसे बढ़ सकते हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में जितने वयस्क लोग हैं, उससे अधिक वोटरों की संख्या कैसे हो सकती है, इस तरह 16 लाख वोटर अधिक कैसे हो सकते हैं।
प्रवीण चक्रवर्ती ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक रिपोर्ट का उदाहरण दिया, जिसमें आबादी के बढ़ने का अनुमान बताया गया है कि 2011 के बाद से जनगणना नहीं हुई है। कब होगी किसी को पता नहीं। स्वास्थ्य मंत्रालय की पॉप्यूलेशन प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार 2021 में महाराष्ट्र में 18 और 18 साल से अधिक लोगों की आबादी 9.14 करोड़ है और 2026 तक यह आबादी महाराष्ट्र में 9.8 करोड़ हो जाएगी। इस अनुमान के अनुसार भी इस समय महाराष्ट्र में 9.54 करोड़ वोटर होने चाहिए। मगर चुनाव आयोग का कहना है कि 9.7 करोड़ वोटर ने अपना पंजीकरण कराया है।
आधार से ज्यादा मतदाताओं का पंजीयन…!
इस पर चकवर्ती ने सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग ने विधानसभा की मतदाता सूची बनाने में शत प्रतिशत मतदाताओं का पंजीकरण कर लिया है। अगर इतनी क्षमता आयोग में है तो लोकसभा चुनाव के समय यह क्यों नहीं किया। यह आरोप भी लगाया कि महाराष्ट्र में 18 और 18 से अधिक जितने लोगों का आधार कार्ड बना है उससे भी अधिक पंजीकरण मतदाता सूची में हो गया है। प्रवीण ने चुनाव आयोग के इस दावे को चुनौती देते हुए कहा कि चुनाव आयोग का मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने का काम एकदम सॉलिड है, उसमें कोई छेद नहीं कर सकता।