रायपुर। भाजपा सरकार द्वारा निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण में कटौती के खिलाफ छत्तीसगढ़िया सर्व समाज महासंघ ने भी मोर्चा खोल दिया है।

छत्तीसगढ़िया सर्व समाज महासंघ ने प्रेस वार्ता लेकर इस संबंध में अपनी आपत्ति में कहा कि छत्तीसगढ़ के 33 जिले में एक भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित नहीं किया गया है। 2019 के पंचायत चुनाव में छत्तीसगढ़ में 27 जिले थे, जिसमें एस.टी के लिए 13 पद, ओ.बी.सी. के लिए 7, सामान्य के लिए 4 पद तथा एस.सी. 3 पद आरक्षित किया गया था, लेकिन 2025 के चुनाव में 33 जिला होने के बाद ओबीसी को 1 भी जिला पंचायत के लिए आरक्षित नहीं किया गया। साथ ही सरगुजा एवं बस्तर संभाग में पिछड़ा वर्ग समाज को शून्य घोषित कर दिया गया। इससे लगता है कि यह दुर्भावना पूर्ण किया गया कृत्य है।

छत्तीसगढ़िया सर्व समाज महासंघ ने आरोप लगाया है कि जनपद पंचायत में भी जनसंख्या अनुरूप अध्यक्ष पदों से वंचित रखा गया। नगरीय निकाय के नगर निगम, नगर पालिका और नगरपंचायत भी जनसंख्या अनुरूप आरक्षित नहीं किया गया है। महासंघ के अध्यक्ष रमेश यदु ने इस मौके पर कहा कि सर्व छत्तीसगढ़िया समाज का प्रस्ताव अनुरूप चेतावनी है छत्तीसगढ़ सरकार पिछड़ा वर्ग का आरक्षण जनसंख्या अनुरूप नहीं करती है तो लोकतांत्रिक तरीके से उग्र प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे और सरकार के सभी मंत्रियों और विधायकों के घेराव करने लिए मजबूर होंगे।

प्रेस वार्ता में राजेन्द्र भतपहरी (कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढिय़ा सर्व समाज महासंघ, टहल राम साहू (प्रदेश अध्यक्ष, छ.ग. साहू समाज , शारदा सोनकर प्रदेश अध्यक्ष, सोनकर समाज, खोड़स राम कश्यप प्रदेश अध्यक्ष, मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज, युवराज सिन्हा प्रदेश अध्यक्ष, डड़सेना समाज, डॉ. ललित मानिकपुरी प्रदेश अध्यक्ष, मानिकपुरी पनका समाज, सुरेश ढीमर प्रदेश अध्यक्ष, ढीमर समाज, नरेश राजवाड़े महामंत्री, छत्तीसगढ़िया सर्व समाज महासंघ आदि मौजूद थे।