नेशनल डेस्क। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के विवादास्पद फैसले ने अमेरिका में जन्म लेने पर स्वाभाविक नागरिकता (बर्थराइट सिटीजनशिप) को लेकर बहस छेड़ दी है। प्रशासन ने घोषणा की थी कि 20 फरवरी के बाद जन्म लेने वाले बच्चों को अब अमेरिकी नागरिकता का अधिकार नहीं मिलेगा, लेकिन अदालत ने इस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है।

अदालत ने इस निर्णय को असंवैधानिक करार दिया है और कहा कि यह अमेरिकी संविधान के तहत दी गई नागरिकता के अधिकारों का उल्लंघन करता है।

क्या है बर्थराइट सिटिजनशिप?

बर्थराइट सिटिजनशिप अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन का हिस्सा है, जिसके तहत अमेरिका में जन्म लेने वाले हर व्यक्ति को वहां की नागरिकता मिलती है। ट्रंप प्रशासन ने इस कानून को समाप्त कर गैरकानूनी प्रवासियों के बच्चों को नागरिकता देने पर रोक लगाने की कोशिश की थी।

जज का फैसला

अदालत के जज ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप प्रशासन का यह कदम स्पष्ट रूप से असंवैधानिक है। इस कानून को समाप्त करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी, जो प्रशासन की कार्यकारी शक्तियों के दायरे से बाहर है।

बर्थराइट सिटिजनशिप खत्म करने का आदेश

राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस आदेश को लागू करने के लिए 30 दिन का समय दिया है। इस फैसले के बाद अमेरिका में गर्भवती महिलाएं जल्द-से-जल्द अपनी डिलीवरी कराने की कोशिश कर रही हैं, जिससे उनके बच्चों को अमेरिकी नागरिकता का अधिकार मिल सके।

सीजेरियन डिलीवरी का ट्रेंड बढ़ा

इस फैसले के बाद अमेरिका के कई अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी के मामलों में तेजी देखी जा रही है। गर्भवती महिलाएं 20 फरवरी से पहले अपने बच्चों का जन्म सुनिश्चित करने के लिए ऑपरेशन का सहारा ले रही हैं।

ट्रम्प प्रशासन के इस फैसले से हजारों परिवार प्रभावित होंगे, खासकर उन प्रवासियों के जो अमेरिका में अपने बच्चों को नागरिकता दिलाने के उद्देश्य से रह रहे हैं।

प्रवासी समुदाय को राहत

हालांकि अदालत के इस फैसले से प्रवासी समुदाय को बड़ी राहत मिली है। यह निर्णय उन लाखों बच्चों और परिवारों के लिए उम्मीद लेकर आया है, जो इस कानून के निरस्त होने से प्रभावित हो सकते थे।

ट्रंप प्रशासन की दलील

ट्रंप प्रशासन ने तर्क दिया था कि बर्थराइट सिटीजनशिप के कारण अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है और यह अमेरिका की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। हालांकि अदालत ने इसे खारिज कर दिया।

यह मामला अब उच्च न्यायालय तक पहुंच सकता है, लेकिन फिलहाल इस फैसले ने बर्थराइट सिटीजनशिप के अधिकार को बहाल कर दिया है।