भोपाल। मध्यप्रदेश में परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा के पास करोड़ों का सोना और नगदी मिलने के मामले में नया मोड़ सामने आया है। बताया जा रहा है मध्य प्रदेश के भोपाल में सौरभ शर्मा ने कोर्ट के सामने सरेंडर करने के लिए आवेदन किया है। सौरभ शर्मा ने भोपाल कोर्ट के सामने सरेंडर करने के लिए अपने वकीलों को भेजा और सुरक्षा की मांग की है। इस बीच पूरे मामले की जांच कर रहे डीएसपी वीरेंद्र सिंह भी कोर्ट पहुंच गए हैं।

पूर्व में हुई थी छापेमारी

17 दिसंबर को सौरभ शर्मा के घर पर छापा मारा गया था, इसके 41 दिन बाद आज उसने सरेंडर के लिए आवेदन किया है। बताया जा रहा है कि सौरभ शर्मा आज शाम तक आत्मसमर्पण कर सकता है। सौरभ के पास करोड़ों की संपत्ति मिली थी। इसके साथ ही इसके दोस्त चेतन सिंह गौर की गाड़ी से 54 किलो सोना भी बरामद किया गया था।

सौरभ शर्मा आरटीओ में कांस्टेबल था, बाद में उसने वीआरएस ले लिया था। उसे अपने पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। इस नियुक्ति पर भी सवाल खड़े हुए हैं, क्योंकि सौरभ के भाई सरकारी नौकरी में पहले से थे।

17 दिसंबर को सौरभ शर्मा के घर लोकायुक्त के छापे के अलगे दिन आयकर विभाग को भोपाल के करीब एक कार मिली थी। इस कार में 52 किलो सोना मिला था। कार सौरभ शर्मा के दोस्त चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड है, लेकिन इसका उपयोग सौरभ शर्मा के कार्यालय के लोग करते थे।

52 किलो गोल्ड वाले सौरभ शर्मा ने भोपाल के लोकायुक्त स्पेशल कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। हालांकि इसे लेकर अभी सस्पेंस है. ED और लोकायुक्त के छापे के बाद से धनकुबेर सौरभ शर्मा फरार था। दरअसल, 17 दिसंबर को लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा के घर पर छापा मारा था। इसके बाद भोपाल, ग्वालियर और महाराष्ट्र के पुणे में भी छापेमारी की गई।

93 करोड़ की मिली थी प्रॉपर्टी

लोकायुक्त और आयकर विभाग द्वारा छापेमारी की गई, जिसमें कुल 93 करोड़ रुपये से अधिक की प्रॉपर्टी मिली थी। छापेमारी के दौरान सौरभ शर्मा के पास करोड़ों की संपत्ति मिली थी, इसके साथ ही इसके दोस्त चेतन सिंह गौर की गाड़ी से सोना भी बरामद किया गया था। इस कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये कैश मिला था।

RTO हवलदार सौरभ शर्मा कैसे बना करोड़पति

बता दें कि पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के पिता आरके शर्मा सरकारी डॉक्टर थे, लेकिन 2015 में उनका निधन हो गया, जिसके बाद सौरभ को परिवहन विभाग में अनुकंपा पर नियुक्ति मिली थी। हालांकि सात साल तक नौकरी करने के बाद उसने वीआरएस ले लिया था। इसके बाद सौरभ ने काली कमाई शुरू कर दी।