रायपुर। नगर निगम चुनाव का मुकाबला दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस ने जहां दीप्ति दुबे को मेयर पद के लिए मैदान में उतारा है, वहीं बीजेपी ने मीनल चौबे पर दांव खेला है। बता दें कि दोनों ही प्रत्याशियों ने आज नामाकन भर दिया है।

दोनों उम्मीदवार अपनी-अपनी ताकत, अनुभव और राजनीतिक समीकरण के साथ इस चुनावी रण में आमने-सामने हैं। आइए जानते हैं कौन है 20 और कौन है 19…

कौन हैं दीप्ति दुबे?

कांग्रेस की उम्मीदवार दीप्ति दुबे मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली एक प्रोफेशनल साइकोलॉजिस्ट हैं। प्रमोद दुबे, जो रायपुर नगर निगम के पूर्व महापौर और सभापति रहे हैं, उनकी पत्नी हैं। दीप्ति सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के लिए क्लीनिक भी चलाती हैं।

इन बातों का मिल सकता है फायदा

  • दीप्ति दुबे को उनके पति प्रमोद दुबे के काम और छवि का लाभ मिल सकता है, जो रायपुर में एक भरोसेमंद नाम हैं।
  • वह सामाजिक कार्यों में सक्रिय रही हैं, जो एक सकारात्मक छवि बनाने में मदद करती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा में सक्रियता।
  • पढ़ी- लिखी नेता की छवि (मास्टर्स इन साइकोलॉजी, हिंदी साहित्य में एमए और पत्रकारिता में डिप्लोमा)
  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का साथ
  • कांग्रेस का पारंपरिक समर्थन आधार

चुनौतियां

  • रायपुर की चारों विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा।
  • राज्य में कांग्रेस के प्रति जनता की मौजूदा नाराजगी का असर।

कौन हैं मीनल चौबे?

बीजेपी की उम्मीदवार मीनल चौबे राजनीति में तीन दशक से अधिक का अनुभव रखने वाली तेजतर्रार नेता हैं। तीन बार पार्षद रह चुकी मीनल वर्तमान में रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष और सीनियर पार्षद हैं।

इन बातों का मिल सकता है फायदा

  • संगठन में मजबूत पकड़ और लंबा अनुभव।
  • लगातार तीन बार पार्षद के रूप में रिकॉर्ड।
  • जमीनी राजनीति और आंदोलन में सक्रियता।
  • बीजेपी का मजबूत संगठन और राज्य में चारों विधानसभा सीटों पर बीजेपी का दबदबा।
  • बीजेपी में उनका मजबूत नेटवर्क और संगठन में सक्रियता उन्हें चुनावी मैदान में एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।
  • वह पहले से ही रायपुर नगर निगम के मेयर पद के लिए एक प्रमुख दावेदार मानी जा रही थीं।
  • महिला वोटरों और युवा कार्यकर्ताओं से सीधा जुड़ाव।

चुनौतियां

  • रायपुर नगर निगम में कांग्रेस का पारंपरिक समर्थन आधार।
  • मीनल चौबे के खिलाफ नई छवि और युवा वोटरों को जोड़ने की जरूरत।
  • नेताओं की अंतर्कलह
  • अब तक मीनल चौबे एक वार्ड तक ही सीमित रही हैं। अब उन्हें 70 वार्डों की जनता का विश्वास जीतना होगा।

बन रहे ये सियासी समीकरण

रायपुर शहर की चारों विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, जिससे पार्टी के लिए नगर निगम सीट जीतने की कोशिश और भी अहम हो जाती है। कांग्रेस की उम्मीदवार दीप्ति दुबे के लिए यह राह आसान नहीं होगी, हालांकि उनके पति प्रमोद दुबे की बनाई गई छवि और उनके कार्यों का लाभ दीप्ति को मिल सकता है। कांग्रेस को इस चुनाव में एक मजबूत मुकाबला देना होगा, जबकि बीजेपी अपनी पारंपरिक ताकत का इस्तेमाल कर महापौर पद पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। बीजेपी के लिए यह नगर निगम चुनाव राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने का मौका है, जबकि कांग्रेस के लिए यह अपने पुराने गढ़ को बचाने की चुनौती है।

ऐसे में अब यह देखना यह दिलचस्प होगा कि रायपुर की जनता अनुभवी मीनल चौबे को चुनती है या नई ऊर्जा और विचारों के साथ दीप्ति दुबे पर भरोसा जताती है। चुनावी माहौल गर्म है, और यह मुकाबला ही रायपुर के भविष्य को तय करेगा।