नेशनल डेस्क। गुजरात के मेहसाणा जिले के जसलपुर गांव के मंदिर में युवा, किसान और बुजुर्ग, सभी मेलोडी माता की पूजा-अर्चना करते हैं। आमतौर पर लोग भगवान से अच्छे स्वास्थ्य, बच्चों के लिए दुआएं या अच्छे फसल के लिए प्रार्थना करते हैं, लेकिन इस मंदिर में कुछ अलग होता है। यहां लोग अपनी इच्छाओं को पूरा करने आते हैं, और उनका सपना होता है – अमेरिका जाना। यह कहानी गुजरात के जसलपुर गांव के मंदिर की है।

जसलपुर गांव पाटीदार बहुल है, और यहां के लोग मेलोडी देवी से अमेरिका जाने की प्रार्थना करते हैं। उनका विश्वास है कि मेलोडी देवी (Melody) ही उनके अमेरिका जाने के सपने पूरे करती हैं।

जब परिवार का कोई सदस्य सफलता से अमेरिका पहुंचता है, तो लोग देवी को प्रसाद चढ़ाते हैं, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अवैध अप्रवास के खिलाफ कार्रवाई ने अब इनकी आस्था को भय में बदल दिया है। अब मंदिर में आने वाले लोग अपने बच्चों की अमेरिकी इमिग्रेशन और सीमा शुल्क प्रवर्तन से सुरक्षा की प्रार्थना कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि उनके बच्चों को कभी भी वापस भारत भेज दिया जा सकता है। यह डर वाजिब भी है, क्योंकि लोग लाखों रूपये खर्च करके अवैध तरीकों से अपने बच्चों को अमेरिका भेज चुके हैं।
अवैध प्रवास का डर और मंदिर में पूजा
गुजरात के लोग, जिन्हें डंकी रूट के माध्यम से अमेरिका भेजा जाता है, अब मदद के लिए मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं। डंकी रूट ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के लोगों से जुड़ा हुआ है, लेकिन गुजरात के लोग भी इस अवैध रास्ते का एक बड़ा हिस्सा हैं।
ट्रंप के कार्यकारी आदेश और उनके प्रभाव
अमेरिका में काम करने वाले भारतीय परिवार इन दिनों अमेरिकी सरकार के नए फैसलों से चिंतित हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में जारी किए गए कार्यकारी आदेशों के तहत अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता देने पर पाबंदी लग सकती है, जिसका प्रभाव उन भारतीय परिवारों पर पड़ेगा, जो अपने बच्चों को अमेरिका भेजने के लिए सी-सेक्शन डिलीवरी का सहारा लेते थे। यह आदेश 19 फरवरी से लागू हो सकता है, और इससे लाखों भारतीयों की उम्मीदों को झटका लग सकता है।
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया दी है और कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि कितने भारतीयों को अपने देश लौटना होगा। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि जिन भारतीय नागरिकों के पास उचित दस्तावेज़ नहीं हैं और जो निर्धारित समय से ज्यादा समय तक अमेरिका में रह रहे हैं, उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है, बशर्ते वे अपने दस्तावेज़ प्रस्तुत करें ताकि उनकी नागरिकता की पुष्टि की जा सके।
गुजराती समुदाय की प्रतिक्रिया
गुजराती समुदाय, जो भारत और अमेरिका दोनों में ट्रंप के सबसे बड़े समर्थकों में से एक है, इन नई नीतियों के बारे में मिश्रित भावनाएं व्यक्त कर रहा है। जसलपुर जैसे क्षेत्रों में लोग मानते हैं कि ट्रंप की नीतियां भारतीय अप्रवासियों को अन्य अप्रवासी समूहों की तरह कठोर रूप से लक्षित नहीं करेंगी। उनका मानना है कि भारतीयों का योगदान अमेरिका की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण है और वे इसके बिना नहीं रह सकते।
आप्रवासी समुदाय में भय का माहौल
हालांकि, ट्रंप की नीतियों के कारण अप्रवासी समुदाय में डर का माहौल बन गया है। अब अधिकतर अप्रवासी केवल काम के लिए बाहर निकलते हैं और फिर सीधे घर लौट आते हैं। वे अपने पास दस्तावेज रखते हैं, ताकि अगर कोई अप्रिय घटना घटे तो वे गिरफ्तार न हों।
अवैध यात्रा का नेटवर्क
गुजरात में अवैध प्रवास के लिए तस्कर एजेंटों का नेटवर्क सक्रिय है। ये एजेंट मुंबई, दिल्ली, मैक्सिको, कनाडा जैसे ट्रांजिट हब्स से जुड़े होते हैं, और इनकी मदद से भारतीय नागरिक पहुंचते हैं, चाहे वे वैध तरीके से हों या अवैध तरीके से।
अवैध यात्रा और उसके परिणाम
अवैध यात्रा के बाद, अमेरिका में प्रवेश करने वाले लोग हमेशा के लिए सुरक्षित नहीं रहते। उन्हें अक्सर गिरफ्तार किया जाता है, कोर्ट में पेश किया जाता है और फिर GPS ट्रैकिंग के साथ जमानत पर रिहा कर दिया जाता है। वे हमेशा अपने दस्तावेज साथ रखते हैं, क्योंकि बिना दस्तावेज के पकड़े जाने पर उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है।
अमेरिका में भारतीय अप्रवासियों की स्थिति लगातार बदल रही है और ट्रंप प्रशासन की नीतियां उनके जीवन को कठिन बना रही हैं। गुजरात का पाटीदार समुदाय ट्रंप की नीतियों का समर्थन करता है, लेकिन इसके बावजूद अप्रवासी समुदाय में एक डर और अनिश्चितता का माहौल है।

डंकी रूट में एक परिवार के चार लोगों की मौत
जनवरी 2022 में कनाडा-यूएस बॉर्डर पर अमेरिकी सीमा से महज 12 मीटर दूर चार लोगों की लाशें मिलीं। इनकी पहचान गुजरात के जगदीश बलदेवभाई पटेल, उनकी पत्नी वैशालीबेन, 12 साल की बेटी विहंगा और 3 साल के बेटे धार्मिक के रूप में हुई। गांधीनगर जिले के डिगुंचा गांव के स्कूल शिक्षक बलदेवभाई अमेरिका जाने का सपना संजोए हुए थे, और उन्होंने अपने परिवार के साथ यह यात्रा शुरू की थी।
यह पूरा परिवार टूरिस्ट वीजा पर कनाडा पहुंचा था और वहां से अवैध तरीके से अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहा था। लेकिन -35 डिग्री की कड़ी सर्दी को सहन नहीं कर सके, जिसके कारण उनकी मौत हो गई।
हर साल हजारों भारतीय अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके जाने के लिए अवैध मार्ग अपनाते हैं। इसे पॉपुलर टर्म में डंकी रूट कहा जाता है, और शाहरुख खान की फिल्म ‘डंकी’ इसी पर आधारित है।
भारत से अमेरिका की दूरी लगभग 13,500 किमी है और हवाई यात्रा से यहां पहुंचने में 17 से 20 घंटे लगते हैं। हालांकि, डंकी रूट के माध्यम से यह दूरी बढ़कर 15,000 किमी तक हो जाती है और इस यात्रा में महीनों का समय लगता है।