बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। यह मामला कबीरधाम जिले के ग्राम पंचायत घुटुरकुंडी का है, जहां 90 प्रतिशत ओबीसी जनसंख्या होने के बावजूद OBC वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया।

ओबीसी आरक्षण में खामियां होने का लगाया आरोप
याचिका ग्राम घुटुरकुंडी, जनपद पंचायत पंडरिया के निवासी हेमंत कुमार साहू ने अधिवक्ता वैभव पी. शुक्ला और आशीष पांडेय के माध्यम से दायर की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए अपनाए गए संशोधित नियमों में गंभीर खामियां हैं। नए प्रावधानों के तहत ब्लॉक स्तर पर ओबीसी आबादी के अनुपात में सीटों के आरक्षण का नियम लागू किया गया है।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता वैभव पी. शुक्ला ने तर्क दिया कि राज्य सरकार के पास ओबीसी जनसंख्या का सटीक डेटा नहीं है। ऐसे में, अनुमानों के आधार पर आरक्षण का निर्धारण करना संविधान की भावना के विपरीत है। जस्टिस बी. डी. गुरु की एकलपीठ ने मामले को गंभीर मानते हुए याचिका स्वीकार की और राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया।
पहले की बजाय घट गई सीटों की संख्या
याचिका में 2011 की जनगणना के आंकड़े और 2019 के पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण से जुड़े तथ्यों को भी प्रस्तुत किया गया है। पिछली बार ब्लॉक पंडरिया की 143 ग्राम पंचायतों में से 36 गांवों में सरपंच पद ओबीसी के लिए आरक्षित थे, लेकिन इस वर्ष यह संख्या घटकर मात्र 9 रह गई।
याचिकाकर्ता का दावा है कि ग्राम घुटुरकुंडी में 90 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की होने के बावजूद पिछले चार पंचायत चुनावों में न तो ओबीसी सीट मिली और न ही इसे मुक्त सीट घोषित किया गया। इससे स्थानीय ओबीसी समुदाय राजनीतिक प्रतिनिधित्व के अधिकार से वंचित हो रहा है।