नयी दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बताया है कि उसने हाल में चेन्नई से संचालित एक कंपनी के खिलाफ चलाये गए तलाशी अभियान के बाद 1,000 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। इस कंपनी पर छत्तीसगढ़ में ‘‘धोखाधड़ी’’ से कोयला ब्लॉक हासिल करने का आरोप है।

ED ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि आरोपी कंपनी-आरकेएम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड (RKMPPL) और संबंधित व्यक्तियों अंडाल अरुमुगम, एस अरुमुगम तथा अन्य के परिसरों पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छापेमारी की गई। धनशोधन का यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज किए गए एक मामले से संबंधित है, जिसमें आरोपियों पर छत्तीसगढ़ में फतेहपुर ईस्ट कोयला ब्लॉक ‘‘धोखाधड़ी’’ से प्राप्त करने का आरोप है। संबंधित कोयला ब्लॉक बिजली क्षेत्र के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा आवंटित किया गया था। बता दें कि यह मामला 2015 से पहले का है, जब देश भर में कोल् ब्लॉक आबंटन घोटाला हुआ था और बाद में इस तरह के आबंटन को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।

कोयला ब्लॉक के नाम पर ऋण लिया और…

आरोप है कि RKMPPL ने कोयला ब्लॉक आवंटन के आधार पर पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) से ऋण प्राप्त किया था और इस कोष का 3,800 करोड़ रुपये का एक ‘‘महत्वपूर्ण’’ हिस्सा ‘‘अधिक मूल्य पर’’ संयंत्र और मशीनरी की खरीद के लिए आरकेएमपीपीएल द्वारा नियंत्रित एमआईपीपी नामक एक विदेशी इकाई को ‘‘स्थानांतरित’’ कर दिया गया।

एजेंसी ने कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन के बाद आरकेएमपीपीएल ने 240 रुपये प्रति शेयर के प्रीमियम पर अपने 26 प्रतिशत शेयर मलेशिया आधारित मुदजया कॉर्पोरेशन बीएचडी को और 10.95 प्रतिशत शेयर एनर्क इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड को सौंप दिए।

ईडी के अनुसार, इसके विपरीत, आरकेएमपीपीएल को अंकित मूल्य पर 63.05 प्रतिशत शेयर आवंटित किए गए थे। मूल्यांकन पद्धति में पारदर्शिता की ‘‘कमी’’ थी और निष्पक्ष मूल्यांकन नहीं रखा गया।

एजेंसी ने कहा कि यह पाया गया कि मुदजया कॉरपोरेशन ने अपनी सहायक कंपनी एमआईआईपी इंटरनेशनल से उपकरण खरीद के लिए पीएफसी-स्वीकृत धनराशि की फिर से वापसी के जरिए अपने 240 रुपये प्रति शेयर प्रीमियम का वित्त पोषण किया। इसने दावा किया कि अनुमानित तौर पर इक्विटी भागीदारी की आड़ में विदेशी संस्थाओं के माध्यम से व्यवस्थित रूप से 1,800 करोड़ रुपये आरकेएमपीपीएल को वापस भेज दिए गए।

तलाशी अभियान के दौरान, कई मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए जिनमें पर्याप्त सबूत थे। ईडी ने बताया कि छापेमारी के दौरान 912 करोड़ रुपये मूल्य की सावधि जमा रसीदें (एफडीआर) और म्युचुअल फंड तथा लगभग 1,000 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों से संबंधित ‘‘प्रमुख दस्तावेज’’ जब्त किए गए।