टीआरपी डेस्क। चाइनीज एआई चैटबॉट DeepSeek अपने लॉन्च के बाद से ही चर्चा में बना हुआ है। इसके उपयोग को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी की चिंताओं के चलते अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, भारत समेत कई देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

क्यों लगाया जा रहा है DeepSeek पर बैन?
DeepSeek को लेकर आशंका जताई जा रही है कि यह यूजर्स का संवेदनशील डेटा स्टोर कर सकता है, जिससे किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इसके अलावा, कंपनी ने अपनी डेटा स्टोरेज नीति को स्पष्ट नहीं किया है, जिससे इस पर संदेह और बढ़ गया है।
किन देशों ने DeepSeek पर प्रतिबंध लगाया?
भारत:
भारत के वित्त मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों को सरकारी आईडी और डिवाइसेस पर DeepSeek और अन्य एआई टूल्स के उपयोग से प्रतिबंधित कर दिया है। मंत्रालय का मानना है कि इन टूल्स से संवेदनशील सरकारी डेटा लीक होने का खतरा है।
ऑस्ट्रेलिया:
ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा एजेंसियों ने सरकारी डिवाइसेस पर DeepSeek के उपयोग पर रोक लगा दी है। ऑस्ट्रेलिया के साइबर सुरक्षा दूत एंड्रयू चार्लटन ने कहा कि सरकार अपने सिस्टम को इस प्रकार के ऐप्स के लिए एक्सपोज नहीं करना चाहती।
अमेरिका:
अमेरिका की नौसेना ने आधिकारिक और व्यक्तिगत रूप से DeepSeek के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। टेक्सास राज्य ने इस पर सबसे पहले प्रतिबंध लगाया था।
ताइवान:
ताइवान ने भी सरकारी कर्मचारियों के लिए इस एआई टूल को बैन कर दिया है। डिजिटल मामलों के मंत्रालय ने इसे उपयोगकर्ताओं के लिए संभावित खतरनाक बताया है।
इटली:
इटली के डेटा सिक्योरिटी अथॉरिटी ने DeepSeek पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। इटली ने कंपनी से यूजर्स के डेटा स्टोरेज और उसके उपयोग से जुड़े कई सवाल पूछे हैं।
दक्षिण कोरिया:
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने इंटरनेट से जुड़े सैन्य कंप्यूटरों पर DeepSeek को ब्लॉक करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, पर्सनल इंफॉर्मेशन प्रोटेक्शन कमीशन (PIPC) ने DeepSeek से डेटा मैनेजमेंट को लेकर जवाब मांगा है।
DeepSeek पर बैन को लेकर चीन ने इसे राजनीतिक कदम बताया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि चीन की सरकार किसी भी कंपनी या व्यक्ति को जबरन डेटा स्टोर करने के लिए बाध्य नहीं करती। चीन का आरोप है कि यह प्रतिबंध आर्थिक, व्यापारिक और तकनीकी मुद्दों को राजनीतिक रंग देने का तरीका है।