बिजनेस डेस्क। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद क्रिप्टोकरेंसी बाजार में जबरदस्त उथल-पुथल देखी जा रही है। बिटकॉइन ने ऑल टाइम हाई का उछाल मारते हुए $109,114.88 (95,03,546.50 INR) के आकड़े को छुआ था लेकिन 25 फरवरी को यह अपने सबसे उच्च स्तर से गिरकर अपने सबसे निचले स्तर $86,873 पर पहुंच चुका है और इसमें लगभग ऑल टाइम का 20% की गिरावट देखने को मिली है।

ट्रंप की नीतियों से उम्मीदें, फिर अचानक गिरावट!

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में एक बड़ा बदलाव आया। जब डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को शपथ ली, तो बिटकॉइन ने एक ऐतिहासिक उछाल लिया। उस दिन बिटकॉइन की कीमत $109,114 ( 95,14,571.67 INR) के पार पहुंच गई थी, जो इसके अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर थी। ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव में जीत और उनके द्वारा क्रिप्टो से जुड़े नियमों में ढील देने के वादे ने क्रिप्टो बाजार को उत्साहित कर दिया था। इसके बाद बिटकॉइन में ऐतिहासिक तेजी देखी गई। इस तेजी के बाद अब 25 फरवरी 2025 को बिटकॉइन में 7.08 % की गिरावट देखने को मिली और इसकी कीमत $86,873 ( 75,75,190.95 INR) पर आ गई। यानि लगभग कुल 1 महीनें में 19,39,381 INR का नुकसान हुआ है।

डोनाल्ड ट्रंप के वादों का असर बिटकॉइन पर

डोनाल्ड ट्रंप के प्रचार अभियान के दौरान यह वादा किया गया था कि वह क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े नियमों में ढील देंगे और क्रिप्टो रिजर्व बनाने का भी प्रयास करेंगे। इससे ट्रंप की जीत के बाद क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों में उम्मीद का माहौल था। बिटकॉइन की कीमत $109,114 तक पहुंची और निवेशक उत्साहित थे कि अब उनका निवेश काफी लाभकारी होगा। यह बिटकॉइन के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ। लेकिन, इस तेजी के बाद बिटकॉइन में 20% की गिरावट आई।

गिरावट के पीछे की वजहें

अमेरिका-चीन तनाव – 25 फरवरी को अमेरिका ने चीन पर नए निवेश प्रतिबंध लागू कर दिए, जिससे क्रिप्टो बाजार में घबराहट बढ़ी और बिकवाली का दबाव बना।
डॉलर पर दबाव – ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की, जिससे डॉलर की स्थिरता प्रभावित हुई और निवेशकों ने क्रिप्टो से दूरी बनानी शुरू कर दी।
क्रिप्टो रिजर्व योजनाओं की असफलता – मोंटाना, नॉर्थ डकोटा और व्योमिंग जैसे राज्यों में बिटकॉइन रिजर्व प्रस्ताव खारिज हो गए, जिससे निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ।
जापानी येन की मजबूती – बैंक ऑफ जापान द्वारा ब्याज दरों में संभावित वृद्धि की खबर से येन मजबूत हुआ, जिससे क्रिप्टो बाजार पर दबाव बढ़ा।