रायपुर। पेट्रोल पंप संचालकों की बरसों पुरानी मांग पर राज्य शासन ने बड़ा फैसला किया है। अब पेट्रोल पंप के संचालन के लिए ना तो कलेक्टर के फूड लाइसेंस की और ना ही इसके रिनीवल की जरूरत होगी। राज्य सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसके बाद पेट्रोल पंपों पर कलेक्टर का सीधा हस्तक्षेप खत्म हो गया है।

कलेक्टर अब किसी भी पंप संचालक के खिलाफ सीधे कार्रवाई भी नहीं कर सकेंगे। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव अन्बलगन पी की ओर से आदेश जारी होने के बाद इसकी अधिसूचना राजपत्र में भी प्रकाशित कर दी गई है।
बढ़ गई थी वसूली की शिकायतें
दरअसल लाइसेंस के नाम पर वसूली और गड़बड़ी की शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं होने को लेकर सरकार ने ये सख्त कदम उठाया है। पेट्रोल पंप संचालकों को एक्सप्लोसिव लाइसेंस के अलावा जिला प्रशासन के खाद्य विभाग से फूड लाइसेंस भी बनवाना पड़ता था, साथ ही इसे हर साल 4500 रूपये देकर रिनीवल भी करना पड़ता था। इस लाइसेंस के फेर में जिला प्रशासन का हस्तक्षेप होता और संबंधित विभाग के अधिकारी इनसे बेजा वसूली भी करते थे।
महिला निरीक्षक को पकड़ा था ACB ने
दो दिन पूर्व ही रायगढ़ में नापतौल विभाग की एक महिला निरीक्षक को ऐसे ही एक मामले में एसीबी ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। महिला निरीक्षक पेट्रोल पंप में गड़बड़ी की शिकायत को खत्म करने के एवज में रिश्वत ले रही थी। ऐसी शिकायते पहले भी आयी थी, जिसके बाद अब राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।
बता दें कि पेट्रोल पंप संचालकों को फ़ूड लाइसेंस लेने का नियम अखंड मध्यप्रदेश के काल का है, जबकि महाराष्ट्र जैसे राज्य में इस नियम को विलोपित किया जा चुका है।

HPCL पेट्रोल पंप एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विजय पांडेय ने TRP न्यूज़ को बताया कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के दौरान भी संगठन ने बरसों पुराने इस नियम को खत्म करने की मांग की थी, मगर तब ध्यान नहीं दिया गया। नई सरकार के आने के बाद खाद्य मंत्री दयालदास बघेल के समक्ष पुनः यह मांग राखी गई, जिसके बाद सरकार ने गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए पुराने नियम को खत्म करने का फैसला किया।
इस फैसले के बाद राज्य शासन ने राजपत्र में इसका प्रकाशन करते हुए ‘छत्तीसगढ़ मोटर स्पिरिट तथा हाई स्पीड डीजल ऑयल (अनुज्ञापन एवं नियंत्रण) आदेश 1980 को निरस्त कर दिया है।
गड़बड़ी की शिकायत पर जांच करा सकते हैं कलेक्टर
अब तक पंप में मिलावट या नाप से कम देने की शिकायत पर कलेक्टर सीधे कार्रवाई करते थे। वहीं पेट्रोल पंप के लाइसेंस की औपचारिकता और उसकी मॉनीटरिंग की खाद्य विभाग करता था। नए आदेश के बाद पेट्रोल पंप संचालकों की परेशानियां काफी हद तक खत्म हो जायेगी। अब पेट्रोल पंपों में किसी तरह की परेशानी या कम नाप की शिकायत मिलने पर ग्राहक सीधे पेट्रोलियम कंपनी में शिकायत कर सकेंगे। इसके लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किया जाएगा।
हालांकि पेट्रोल पंप संचालकों को दिए अपने संदेश में अध्यक्ष विजय पांडेय ने कहा है कि यह आदेश केवल हमारे हर वर्ष लगने वाले फूड लाइसेंस की अनिवार्यता को ही खत्म करता है। परंतु हमें पूर्ववत गुणवत्ता के साथ पंप का संचालन करना है। किसी भी तरह की गड़बड़ी या शिकायत पर कलेक्टर फूड विभाग को जांच का अधिकार दे सकते हैं। देखें राजपत्र :
