नई दिल्ली। अमिताभ कांत ने काम के घंटे को लेकर फिर से बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा है कि कड़ी मेहनत न करने के बारे में बात करना फैशनेबल हो गया है। भारतीयों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए। सप्ताह में 80 घंटे हो या 90 घंटे काम करना चाहिए।

हफ्तेभर में ज्यादा घंटे काम करने को लेकर पिछले कुछ समय में काफी विवाद हुआ है। पहले इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने 70 घंटे काम करने की बात कही और फिर एल एंड टी चेयरमैन ने 90 घंटे की बात बोली। अब इस लिस्ट में नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत भी जुड़ गए हैं। जी-20 शेरपा कांत ने कहा है कि भरतीयों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए और हफ्ते में 80-90 घंटे काम करना चाहिए। भारत को 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए अथक परिश्रम की आवश्यकता है, न कि वर्क लाइफ बैलेंस के प्रति जुनून की।
‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ के एक कार्यक्रम में बोलते हुए, अमिताभ कांत ने कहा कि कड़ी मेहनत न करने के बारे में बात करना फैशनेबल हो गया है। कांत ने कहा, “मैं कड़ी मेहनत में दृढ़ता से विश्वास करता हूं। भारतीयों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए, चाहे वह सप्ताह में 80 घंटे हो या 90 घंटे हो। यदि आपकी महत्वाकांक्षा 4 ट्रिलियन डॉलर से 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की है, तो आप इसे मनोरंजन के माध्यम से या कुछ फिल्मी सितारों के विचारों को फॉलो करके नहीं कर सकते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को डेडलाइन से पहले प्रोजेक्ट डिलिवर करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
बता दें कि अमिताभ कांत से पहले इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लार्सेन एंड टुर्बो (एल एंड टी) के चेयरमैन एस एन सुब्रह्मण्यन के एक बयान से काफी विवाद हुआ था। उन्होंने कहा था कि लोगों को हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए। यहां तक कि रविवार को भी काम पर जाना चाहिए। यहां तक कि उन्होंने यह तक कह दिया था कि घर पर रहकर कितनी देर तक अपनी पत्नी को निहारोगे। उनसे पहले नारायण मूर्ति के भी इस तरह बयान पर काफी हंगामा हुआ था।
कोरिया-जापान का दिया उदाहरण
कार्यक्रम में बोलते हुए अमिताभ कांत ने कोरिया और जापान का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इन देशों ने मजबूत वर्क एथिक की बदौलत ही आर्थिक सफलता हासिल की और भारत को भी ऐसी ही मानसिकता विकसित करनी चाहिए। कांत ने इस बात पर जोर दिया कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक काम करता है तो भी वर्क लाइफ बैलेंस हासिल किया जा सकता है।