रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) में 660 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच में तेजी आ गई है। अब तक तीन आईएएस अधिकारी इस जांच के दायरे में आ चुके हैं। एसीबी/ईओडब्ल्यू (ACB-EOW) ने IAS भीम सिंह, चंद्रकांत वर्मा और पद्मिनी भोई से पूछताछ के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी। अब इन तीनों अधिकारियों को समन जारी कर तलब किया गया है। आज दोपहर से IAS भीम सिंह से पूछताछ जारी है, जो दो घंटे से अधिक समय से चल रही है।

IAS अधिकारियों से हो रही गहन पूछताछ

इससे पहले, बीते बुधवार को IAS चंद्रकांत वर्मा से छह घंटे तक पूछताछ हुई थी। जांच के दौरान अधिकारियों से टेंडर प्रक्रिया और घोटाले से जुड़े दस्तावेजों को लेकर सवाल-जवाब किए जा रहे हैं।

लल्लूराम डॉट कॉम ने किया था भ्रष्टाचार का खुलासा

कांग्रेस शासनकाल में स्वास्थ्य विभाग के तहत CGMSC द्वारा किए गए इस घोटाले को लल्लूराम डॉट कॉम ने उजागर किया था। ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया था कि कैसे मोक्षित कॉरपोरेशन के जरिए सरकारी कोष को खाली किया गया। भारतीय लेखा एवं लेखापरीक्षा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) IAS यशवंत कुमार ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार पिंगआ को इस घोटाले को लेकर पत्र लिखा था।

ऑडिट में सामने आए बड़े खुलासे

वित्तीय वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेजों की जांच के दौरान ऑडिट टीम ने पाया कि बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की गई थी। कई अस्पतालों को जरूरत से अधिक केमिकल और उपकरण सप्लाई किए गए, जबकि कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त संसाधन ही उपलब्ध नहीं थे।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर भी FIR दर्ज

ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भी केस दर्ज किया है। इसमें स्वास्थ्य संचालक और CGMSC के एमडी पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि इस घोटाले में शामिल कई बड़े अधिकारियों की जल्द गिरफ्तारी हो सकती है। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि अफसरों की मिलीभगत से सरकार को अरबों रुपये का नुकसान हुआ है।