टीआरपी डेस्क। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 11 दिनों के बाद फिर से सार्वजनिक रूप से सक्रिय हो गए हैं। इस दौरान उनका फोन बंद था, वे सोशल मीडिया से दूर थे और सार्वजनिक रूप से कहीं नजर नहीं आ रहे थे। अब उन्होंने खुद खुलासा किया है कि वे राजस्थान के एक गांव में विपश्यना ध्यान शिविर में थे।

बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटे रहे
शिविर से बाहर आने के बाद सिसोदिया ने बताया कि वे पिछले 11 दिनों से विपश्यना ध्यान में लीन थे। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए ट्वीट किया, “पिछले 11 दिन मौन, एकांत और आत्मनिरीक्षण में बिताए। इस दौरान मेरा फोन भी बंद था और मैं बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटा हुआ था।”
आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव
सिसोदिया ने कहा कि विपश्यना केवल ध्यान नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा है। दिनभर सांसों का अवलोकन करना, मन और शरीर को समझना, बिना किसी प्रतिक्रिया के आत्मनिरीक्षण करना—यही इसका मूल सार है। उन्होंने गौतम बुद्ध की सीख का जिक्र करते हुए कहा, “चीजों को वैसे ही देखना सीखना चाहिए जैसी वे वास्तव में हैं, न कि जैसी हम उन्हें देखना चाहते हैं।”
उन्होंने आगे बताया कि इस दौरान कोई संवाद नहीं होता न फोन, न किताबें, न लेखन और न ही किसी से नजर मिलाना। पहले कुछ दिनों तक दिमाग भटकता है, लेकिन धीरे-धीरे एक गहरी शांति अनुभव होने लगती है।
युवाओं में बढ़ती बेचैनी और समाधान की खोज
सिसोदिया ने बताया कि ध्यान शिविर में 75% लोग 20 से 35 वर्ष की उम्र के थे। जब अंतिम दिन बातचीत हुई, तो पता चला कि सफलता की दौड़, जीवन की उलझनें और मानसिक बेचैनी ने इन युवाओं को इतनी कम उम्र में ही आत्मचिंतन की इस राह पर ला दिया था। उन्होंने कहा कि शिक्षा में अगर इस मानसिक शांति और उलझनों से निपटने के उपाय भी सिखाए जाते, तो शायद लोगों का जीवन अधिक खुशहाल होता।
दिल्ली के स्कूलों में भी है यह पहल
सिसोदिया ने इस संदर्भ में दिल्ली के स्कूलों में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम का जिक्र किया, जिसे उनके कार्यकाल में लागू किया गया था। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा के मानवीकरण की दिशा में बड़ा कदम था और कई युवा अब इसका महत्व समझ रहे हैं।