रायपुर। छत्तीसगढ़ और झारखंड को जोड़ने वाले अंबिकापुर-रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग के नवनिर्माण और चौड़ीकरण की प्रक्रिया में तेजी आ गई है। सड़क की जर्जर हालत के कारण यात्रा करना मुश्किल हो गया था, लेकिन अब निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होने वाला है।

वन विभाग को मिली 24.7 करोड़ की राशि

राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग ने पेड़ों की कटाई और स्थानांतरण के लिए 24.7 करोड़ रुपये की राशि वन विभाग को जारी कर दी है। इसके अलावा, जांजगीर-चांपा में क्षतिपूर्ति पौधारोपण के लिए राजस्व भूमि भी प्रदान कर दी गई है।

तीन कंपनियों से अनुबंध प्रक्रिया पूरी होने के करीब

करीब 110 किलोमीटर लंबे इस मार्ग के निर्माण के लिए तीन कंपनियों से अनुबंध की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। रामानुजगंज और बलरामपुर के बीच पेड़ों की कटाई का कार्य पहले ही शुरू हो चुका है।

फॉरेस्ट क्लीयरेंस के बाद तेज हुआ निर्माण कार्य

हालांकि सड़क निर्माण और चौड़ीकरण के लिए पहले ही राशि स्वीकृत हो चुकी थी, लेकिन वन विभाग की मंजूरी (फॉरेस्ट क्लीयरेंस) के अभाव में काम शुरू नहीं हो सका था। अब सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं और जल्द ही निर्माण कंपनियों को कार्य सौंप दिया जाएगा।

तीन चरणों में पूरा होगा सड़क का नवनिर्माण

केंद्र सरकार ने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सड़क निर्माण से जुड़ी सभी बाधाओं को जल्द से जल्द दूर किया जाए। अंबिकापुर-रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग का नवनिर्माण बाइपास के साथ तीन चरणों में पूरा किया जाएगा।

  • महावीरपुर से रामानुजगंज तक (13.7 किमी): ₹144 करोड़ की स्वीकृति
  • रजपुरी खुर्द से पाढ़ी तक (49 किमी): ₹397 करोड़ की स्वीकृति
  • बड़कीम्हरी से रामानुजगंज तक (29.4 किमी): ₹199 करोड़ की स्वीकृति

छत्तीसगढ़-झारखंड को जोड़ने वाले दो मुख्य मार्ग

  1. अंबिकापुर-रामानुजगंज हाईवे: यह मार्ग झारखंड के गढ़वा जिले से होते हुए अन्य शहरों को जोड़ता है।
  2. जशपुर-गुमला-रांची मार्ग: यह सड़क झारखंड के गुमला होते हुए रांची को जोड़ती है।

इन दोनों मार्गों पर दर्जनों बसें रोजाना संचालित होती हैं, जिससे यातायात का दबाव अधिक रहता है।

वर्तमान में हाईवे की हालत बेहद खराब

अंबिकापुर-रामानुजगंज राजमार्ग की मौजूदा हालत बेहद खराब हो चुकी है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिससे यात्रा करना जोखिम भरा हो गया है।

बलरामपुर जिले में तो हालात इतने खराब हैं कि दोपहिया वाहन चलाना भी मुश्किल हो गया है। लगातार उड़ती धूल से बचाव के लिए पानी का छिड़काव करना पड़ रहा है। इस हाईवे के चौड़ीकरण और मरम्मत के बाद छत्तीसगढ़ से झारखंड का सफर सुगम और सुरक्षित हो जाएगा।