0 जिले के 4 SDM को दी गई जांच की जिम्मेदारी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा भूमि घोटाले हुए हैं तो वह है बिलासपुर जिला। यहां पूर्व में हुए घोटालों को जितना सुलझाया जा रहा है उससे भी कई गुना ज्यादा मामले फिर से सामने आ जाते हैं। इस बार गांवों में निस्तार के लिए चिन्हित जमीनों क जमकर बंदरबांट का मामला सामने आया है। बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण की बैठक में इस मुद्दे पर हुई चर्चा के बाद इलाके के अनुविभागीय अधिकारियों को जांच का आदेश दिया गया है। कलेक्टर अवनीश शरण ने इस मामले में मिली शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए चारों एसडीएम को विस्तृत जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

जानिए निस्तार भूमि किसे कहते हैं..

निस्तार भूमि के अंतर्गत गांवों में सार्वजनिक इस्तेमाल की जमीनों, यथा चारागाह, घास भूमि, कब्रस्तान, श्मशान भूमि, गोठान, खलिहान, बाजार, खाद के गड्ढे, धरसा, तालाब आदि की भूमि शामिल हैं। ये गांव की सामूहिक उपयोग की भूमि होते हैं। किसी निजी व्यक्ति के भूमि स्वामी हक में इसे दर्ज नहीं किया जा सकता है।

कलेक्टर ने समयसीमा की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए राज्य सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं और लंबित मामलों की प्रगति की भी समीक्षा की।

फर्जीवाड़ा करने वालों में हजारों लोग शामिल

इस मौके पर बताया गया कि कोटा और कुछ अन्य राजस्व अनुविभागीय में सर्वाधिक गड़बड़ी हुई है। जानकारी दी गई है कि अब तक कोटा तहसील में 507 में से 163 व्यक्तियों को नोटिस जारी किया गया है। बेलगहना क्षेत्र में 1545 में से 862 और रतनपुर में 210 में से 196 लोगों को नोटिस भेजा गया है। इन सभी व्यक्तियों से यह जानकारी ली जाएगी कि निस्तार भूमि को निजी भूमि स्वामी हक में किस आदेश के तहत दर्ज किया गया।

इसी तरह की कार्रवाई तखतपुर, मस्तुरी एवं बिल्हा के अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को भी करने के निर्देश दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि निस्तार भूमि गांवों में चारागाह, घास भूमि, कब्रिस्तान, श्मशान, गोठान, खलिहान, बाजार, खाद के गड्ढे, धरसा और तालाब के रूप में आरक्षित होती हैं। यह भूमि सामूहिक उपयोग के लिए होती है और इसे किसी भी निजी व्यक्ति के स्वामित्व में दर्ज नहीं किया जा सकता।

डंके की चोट पर हुआ है घोटाला

बिलासपुर जिले में जिस तरह निस्तारी की जमीनों पर लोगों ने कब्ज़ा करके अपने नाम पर दर्ज करवा लिया है, वह बिना राजस्व अमले के सहयोग के संभव नहीं है। पटवारी से लेकर तहसीलदार और SDM तक की जानकारी के बिना यह काम कैसे हो सकता है। हालांकि बिलासपुर जिले में इससे भी बड़े घोटाले पहले भी उजागर हो चुके हैं। सम्बंधित मामलों में कार्यवाहियां भी हुई हैं। बिलासपुर में अपनी पदस्थापना के बाद से ही कलेक्टर अवनीश शरण ने जांच और कार्यवाही शुरू की, और अब तक कठोरता से यह काम जारी है। यहां कालांतर में हजारों लोगों ने एक दूसरे की देखादेखी निस्तार की जमीनों पर कब्जा कर लिया, यहां तक तो ठीक है मगर राजस्व विभाग ने जमीनों को उनके नाम पर चढ़ा दिया, यह तो पूरी तरह से गैरकानूनी है। बहरहाल कलेक्टर ने टीएल की सूची में इस मामले को दर्ज कर लिया है और माना जा रहा है कि इसमें कार्रवाई के बाद ही यह मामला टीएल से हट सकेगा।

4 अधिकारियों को जारी किया नोटिस

बैठक में कलेक्टर ने एग्रीस्टेक योजना के तहत किसान पंजीयन की धीमी प्रगति पर नाराजगी जताई। उन्होंने राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारियों को 25 मार्च तक लक्ष्य पूरा करने के निर्देश दिए। इस योजना में लापरवाही बरतने पर बिल्हा, तखतपुर, मस्तुरी और कोटा के एसएडीओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। यदि तीन दिन में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई तो संबंधित अधिकारियों के निलंबन की कार्रवाई भी की जा सकती है।

गर्भपात के मामले में जांच रिपोर्ट तलब

कलेक्टर ने सिम्स में गर्भपात के गलत इंजेक्शन लगाए जाने के मामले की जांच रिपोर्ट दो दिनों में तलब की है। वहीं, सीपत में पांच साल पहले बने 100 बेड के अस्पताल के बिना उपयोग खंडहर बनने की जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम गठित की गई है, जो 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी। इसके अलावा बिना सूचना के बैठक से नदारद रहने पर डिप्टी कलेक्टर अरुण खलखों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

हॉस्टल की उपयोगिता पर उठे सवाल

पं. सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी में 4.6 करोड़ की लागत से बने हॉस्टल की उपयोगिता पर सवाल उठाए गए। भवन बनने के तीन साल के भीतर दरारें आ जाने के कारण इसकी जांच के आदेश दिए गए हैं। गर्मी बढ़ने के साथ ही लू और आगजनी की आशंका को देखते हुए अग्निशमन, पुलिस और बिजली विभाग को अलर्ट रहने को कहा गया। होम गार्ड्स और नगर निगम की दमकलों को चौबीसों घंटे तैयार रहने का निर्देश दिया गया। पीएम पोर्टल और सीएम जनदर्शन के लंबित मामलों का जल्द से जल्द निपटारा करने के निर्देश दिए गए।