टीआरपी डेस्क। राजधानी दिल्ली में अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया के तहत प्रशासन ने ऐतिहासिक मंदिरों पर कार्रवाई की, जिससे स्थानीय जनता में भारी असंतोष देखने को मिला। शनिवार सुबह यमुना बाजार क्षेत्र में स्थित सिंदूरी गणेश मंदिर और काली मंदिर पर बुलडोजर चलाया गया, जिसे लेकर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। स्थानीय निवासियों के अनुसार, इन मंदिरों की स्थापना 1902 में हुई थी और यह धार्मिक आस्था के महत्वपूर्ण केंद्र थे।

सुबह 4:30 बजे शुरू हुई कार्रवाई

शनिवार तड़के सुबह 4:30 बजे एमसीडी और पीडब्ल्यूडी की संयुक्त टीम पुलिस बल के साथ यमुना बाजार पहुंची और मंदिरों को ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई की खबर मिलते ही स्थानीय लोग विरोध में जुट गए। हालांकि, प्रशासन चौमुखी महादेव मंदिर को गिराने में सफल नहीं हुआ, लेकिन उसकी बाउंड्री वॉल तोड़ दी गई। इससे पहले, इसी स्थान पर स्थित झुग्गियों को भी एक सप्ताह पहले हटाया जा चुका था।

विरोध के चलते रोकी गई तोड़फोड़ की कार्रवाई

इससे पहले, 20 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर मयूर विहार में तीन मंदिरों को गिराने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण इसे रोकना पड़ा। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की टीम ने पुलिस बल के साथ मिलकर काली मंदिर, अमरनाथ मंदिर और बद्रीनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया था। ये मंदिर मयूर विहार फेज-2 की ग्रीन बेल्ट में स्थित थे, जहां विधायक रविंदर सिंह नेगी के नेतृत्व में स्थानीय लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और सरकार का रुख

विधायक रविंदर सिंह नेगी ने बताया कि वह और अन्य स्थानीय लोग सुबह तीन बजे से मौके पर मौजूद थे और मंदिरों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उपराज्यपाल वी के सक्सेना से चर्चा के बाद तोड़फोड़ की कार्रवाई को स्थगित किया गया।

इस मामले में दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “डबल इंजन” सरकार पहले तो बुलडोजर चलाने का आदेश देती है, पुलिस तैनात करती है, और जब जनता विरोध में उतरती है तो अनजान होने का नाटक करती है।

क्या कहता है प्रशासन?

डीडीए के प्रवक्ता ने इस मामले पर कहा कि तोड़फोड़ की कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया है और कानूनी टीम पूरे मामले की समीक्षा कर रही है।