0 कोर्ट के आदेश तक कटाई पर रोक लगाने का आदेश

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद विश्वविद्यालय से सटी 400 एकड़ जमीन पर पेड़ों की कटाई मामले का संज्ञान लेते हुए तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र का तत्काल दौरा करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तेलंगाना के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि शीर्ष अदालत द्वारा अगला आदेश पारित किए जाने तक कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं दी जाए।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने उठाया मुद्दा

पीठ ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को अपराह्न 3.30 बजे तक अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा और कहा कि मामले की सुनवाई अपराह्न 3.45 बजे होगी। इस मुद्दे को वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने पीठ के समक्ष उठाया, जो पर्यावरण से संबंधित मामले में न्यायमित्र के रूप में उच्चतम न्यायालय की सहायता कर रहे हैं।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि न्यायमित्र कई समाचार रिपोर्टों को उसके संज्ञान में लाए हैं, जिनमें वहां बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई का चित्रण किया गया है। पीठ ने कहा, ‘‘ इसलिए, हम तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश देते हैं कि वह तत्काल संबंधित स्थल का दौरा करें और आज अपराह्न 3.30 बजे तक अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करें। ’’

पीठ ने उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वह उसके आदेश को तत्काल उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को सूचित करें, जो तत्काल उस पर कार्रवाई करेंगे। पीठ ने कहा, ‘‘हम तेलंगाना के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि जब तक इस न्यायालय द्वारा अगला आदेश पारित नहीं किया जाता है, कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं दी जाएगी।’’

हाई कोर्ट की सुनवाई पर रोक नहीं

पीठ को बताया गया कि तेलंगाना उच्च न्यायालय भी इसी मामले पर सुनवाई कर रहा है। उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा, ‘‘ हम यह स्पष्ट करते हैं कि हम तेलंगाना उच्च न्यायालय में जारी कार्यवाही पर रोक नहीं लगा रहे हैं।’’

‘जंगल की जमीन’ बचाने के लिए तेलंगाना सरकार से भिड़ रहे छात्र

हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों का दावा है कि विवादित इलाके में वनस्पतियों और जीवों की 450 से ज्यादा प्रजातियां हैं। मगर सरकार उस जमीन को जंगल नहीं मानती है लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने वहां पेड़ गिराने पर रोक लगा दी है।

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में 400 एकड़ जमीन को लेकर विवाद हो रहा है। यह जमीन हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास स्थित है। विश्वविद्यालय और राज्य सरकार दोनों इस जमीन पर अपना दावा कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य सरकार आईटी पार्क बनाने के लिए इस जमीन को खाली करवाना चाहती है। वहीं, विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह जंगल की जमीन है और इसे साफ करने से पर्यावरण को नुकसान होगा।

बुलडोजर से हटाए गए पेड़

राज्य की कांग्रेस सरकार ने बीते 30 मार्च को जमीन खाली करवाने के लिए बुलडोजर भेजे थे। ये मशीनें पेड़ों को हटाकर जमीन को साफ कर रही थीं।

इधर हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ (यूओएचएसयू) और इससे संबद्ध अन्य यूनियनों और दलों ने अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया तथा कक्षाओं का बहिष्कार करने की घोषणा की। छात्र संघ ने विश्वविद्यालय परिसर से पुलिसकर्मियों के साथ ही जमीन से भारी मशीनों को हटाने की मांग की।

इसी कड़ी में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने राज्य की कांग्रेस सरकार को इस संबंध में सभी कार्य तीन अप्रैल तक रोकने का निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय उन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिनमें कांचा गाचीबोवली स्थल पर पेड़ों को उखाड़ने और जमीन को साफ करने पर रोक लगाने के लिए अदालत से निर्देश देने की अपील की गई थी।

याचिकाकर्ताओं ने तेलंगाना औद्योगिक अवसंरचना निगम (टीजीआईआईसी) को जमीन आवंटित करने के राज्य सरकार के फैसले को भी चुनौती दी है और दावा किया है कि यह वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है।