पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के अंबिकापुर के मरीज ने तड़पकर दम तोड़ा
रायपुर/अंबिकापुर। स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में छत्तीसगढ़ ऊँची छलांग लगा रहा है, का दावा सरकार की ओर से अक्सर किया जाता है। लेकिन, trp को हीमोफ़ीलिया बीमारी से लड़ने वाले सोसायटी के अध्यक्ष कमल किशोर शांडिल्य ने बताया कि छत्तीसगढ़ में हीमोफ़ीलिया से पीड़ित बीमार लोगों की संख्या लगभग दो हजार है। लेकिन, इन बीमार लोगों को लगने वाले इंजेक्शन की पूरे राज्य में भारी कमी हैI बीते 9 अप्रैल 2025 को सूरजपुर निवासी 19 साल के युवा सूरज सिंह की मौत, एक अदद इंजेक्शन की कमी के चलते हुई है। हीमोफ़ीलिया एक आनुवाँशिक बीमारी है। यह बीमारी माँ के जरिये शिशु को आती है (जन्मजात बीमारी,जिंदगी भर लाइलाज)I बीमारी में अनोखापन ये कि यह बीमारी ज्यादातर पुरुषों को होती है। सोसायटी में रजिस्टर्ड डेढ़ सौ लोगों में से, सिर्फ एक बीमार,महिला है बाकी सभी पुरुष। सूरज सिंह भी इन डेढ़ सौ बीमार लोगों की सूची में था।

सूरज सिंह की मौत कैसे हुई –
जिला सूरजपुर निवासी सूरज सिंह को यूरिन नहीं होने की समस्या के चलते जिला अस्पताल सूरजपुर में भर्ती किया गया। इस बीच नाक से खून रिसने/बहने लगा। बेहतर ईलाज के लिए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज लाया गयाI लेकिन, हीमोफ़ीलिया बीमारी में राहत देने वाला इंजेक्शन मेडिकल कॉलेज में भी भी नहीं हैI ऐसे में तय हुआ कि बीमार सूरज सिंह को राजधानी रायपुर लाया जाये। रायपुर पहुँचने से पहले सूरज सिंह की मौत हो गई। मृतक की उम्र महज उन्नीस साल थी। जिस मेडिकल कॉलेज में फैक्टर 7,8,9 नहीं है उसी अंबिकापुर के टी.एस.सिंहदेव पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। मुख्यमंत्री के साथ कथित अनबन के चलते स्वास्थ्य, एवं परिवार कल्याण एवं पंचायत मंत्री ने, स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। पंचायत मंत्रालय उन्होंने ऱखा था, बाद में टी. एस. सिंहदेव उप मुख्यमंत्री भी बने थे।
बीमारी और ईलाज के बारे में therural press की पड़ताल –
हीमोफ़ीलिया में माँ कैरियर होती हैI यह बीमारी जन्मजात होती है, और लाईलाज हैI साल में कम से कम दो बार बीमारों को फैक्टर नाम के इंजेक्शन की जरूरत होती है। फिलहाल फैक्टर नाम का यह इंजेक्शन रायपुर स्तिथ एम्स में है। लेकिन, राज्य के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर अस्पताल में भी यह इंजेक्शन नहीं है। राज्य के किसी भी जिला अस्पतालों में भी यह इंजेक्शन नहीं है।
CGMSCL में फैक्टर नहीं होने की एक वजह कहीं घोटाला तो नहीं
दवा सप्लाई करने वाली कम्पनियाँ खरीदी से जुड़े लोगों (अधिकारी कर्मचारियों) को अनुचित लाभ देती रही हैंI CGMSC के लगभग आधा दर्जन अधिकारी-कर्मचारी इन दिनों जेल में हैं। अधिकारीयों के आलावा एक दवा सप्लायर भी जेल में हैI CGMSC गठन के बाद से ही विवादों में रहा है। रिएजेंट केमिकल की गैर जरुरी खरीद समेत दीगर खरीदी की जाँच शुरू हुई तो अधिकारी कर्मचारियों समेत सप्लायर को गिरप्तार करके रिमांड पर जेल भेजा गया है। कथित स्कैम 411 करोड़ का, MD, GM समेत आधा दर्जन लोग न्यायिक रिमांड पर जेल में हैं।
उनके नाम जो न्यायिक रिमांड पर जेल में हैं
1.बसंत कौशिक,महाप्रबंधक (CGMSC) 2.डॉक्टर अनिल परसाई डिप्टी डायरेक्टर (स्वास्थ्य विभाग)
3.शिरोन्द्र रावरिया 4.कमलकांत पाटनवार 5.दीपक बांधे एवं मोक्षित
कॉरपोरेशन के डायरेक्ट शशांक चोपड़ाI
हीमोफ़ीलिया (रक्तस्त्राव की बीमारी) के बारे में दिल्ली हाईकोर्ट के बोल
स्वास्थ्य के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत परिकल्पित ‘जीवन के अधिकार’ के अंतर्गत उसके एक भाग के रूप में न्यायिक मान्यता दी गई है। इस तरह के ईलाज की जरुरत वाले व्यक्ति को समय पर मेडिकल ट्रीटमेंट प्रदान करने में शासकीय अस्पतालों की विफलता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिये गये अधिकार का एक स्पष्ट उल्लंघन है। जस्टिस सचिन दत्ता ने यह फैसला/ टिप्पणी दो व्यक्तियों की याचिका के दौरान दी थी, याचिका हीमोफिलिया से पीड़ित बीमारों ने ही लगाई थी।
हीमोफ़ीलिया (रक्तस्त्राव की बीमारी) के बीमारों के लिए काम करने वाली सोसायटी ने इंजेक्शन की कमी के बारे में CMO रायपुर से बात की। सोसायटी के अध्यक्ष कमल किशोर शांडिल्य को CMO रायपुर ने कहा – CGMSC ने इंजेक्शन की खरीद बंद की हुई है। बहुत सी दवाइयों की कमियों से हम जूझ रहे हैं।