रामबन। रविवार तड़के जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में कुदरत का कहर टूटा। करीब सुबह 4:30 बजे सीरी बगना और धारमकुंड गांवों में बादल फटने से भारी बारिश और भूस्खलन हुआ, जिससे पूरा इलाका दहल उठा। अब तक पांच लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि दर्जनों घर तबाह हो गए और सैकड़ों लोग प्रभावित हुए हैं।

12 और 10 साल के मासूमों की दर्दनाक मौत

मलबे में दबे 12 वर्षीय आकिब अहमद और उसके 10 वर्षीय भाई मोहम्मद साकिब को ग्रामीणों ने बाहर निकाला, लेकिन तब तक दोनों की सांसे थम चुकी थीं। यह हादसा पूरे इलाके में मातम का कारण बन गया है।

राजमार्ग बंद, गांवों से संपर्क टूटा

राष्ट्रीय राजमार्ग NH-44 पर भारी भूस्खलन के चलते ट्रैफिक पूरी तरह से ठप है। यह हाईवे कश्मीर को देश से जोड़ने वाली एकमात्र ऑल-वेदर सड़क है। रास्ता बंद होने से कई गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया है।

सेना और SDRF का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

सेना, SDRF और स्थानीय प्रशासन मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं। अभी तक 100 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया है और उन्हें राहत शिविरों में रखा गया है। प्रशासन ने रामबन जिले के सभी स्कूल-कॉलेज 21 अप्रैल को बंद रखने का ऐलान किया है। घाटी में लगातार हो रही बारिश को देखते हुए कश्मीर में भी सभी स्कूल बंद रहेंगे।

हर संभव मदद का भरोसा

उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने मौके का दौरा किया और कहा कि हालात बेहद गंभीर हैं। वहीं, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई और हर संभव मदद का भरोसा दिया है। केंद्र सरकार ने भी स्थिति पर नजर बनाए रखी है।

जितेंद्र सिंह और फारूक अब्दुल्ला जैसे बड़े नेताओं ने राहत और पुनर्वास में तेजी लाने की मांग की है। प्रशासन युद्ध स्तर पर राहत कार्य में जुटा है और सड़कों को साफ कर यातायात बहाल करने की कोशिशें जारी हैं, जिसमें 48 घंटे तक का वक्त लग सकता है।