रायपुर। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना की सीमाओं पर फैले कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ जारी है। बुधवार से शुरू हुए इस ऑपरेशन को अब तक का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन माना जा रहा है, जिसमें हजारों जवान शामिल हैं। इस बीच, गलगम के जंगलों में एक आईईडी विस्फोट में डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) का एक जवान घायल हो गया है।

120 घंटे से अधिक समय से जारी है संघर्ष
बीजापुर जिले के कर्रेगुट्टा क्षेत्र में मुठभेड़ 120 घंटे से भी ज्यादा समय से जारी है। लगातार हो रही झड़पों में कई जवान घायल हुए हैं, जिन्हें चॉपर की मदद से बीजापुर लाया गया है। मैदान में डटे जवानों को समर्थन देने के लिए बैकअप पार्टियां भी लगातार भेजी जा रही हैं। सुरक्षाबलों ने पहाड़ियों पर रणनीतिक बढ़त बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
तीन राज्यों की संयुक्त कार्रवाई: नक्सलियों का गढ़ घिरा
करीब 290 किलोमीटर लंबी कर्रेगुट्टा की पहाड़ी छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्यों में फैली हुई है। खुफिया जानकारी के अनुसार, इस क्षेत्र में नक्सली कमांडर और शीर्ष नेतृत्व के कई बड़े नेता मौजूद हैं। तीनों राज्यों की संयुक्त फोर्स ने पहाड़ी को चारों ओर से घेर लिया है।
यह इलाका नक्सलियों के पीएलजीए (People’s Liberation Guerrilla Army) की बटालियन नंबर 1 का मुख्य आधार क्षेत्र माना जाता है, जिसे नक्सलियों का सबसे मजबूत गढ़ भी कहा जाता है।
गलगम में IED ब्लास्ट: डीआरजी जवान घायल
गलगम क्षेत्र में कर्रेगुट्टा पहाड़ी की ओर बढ़ते समय एक डीआरजी जवान आईईडी ब्लास्ट की चपेट में आ गया। जवान का पैर विस्फोटक पर पड़ते ही जोरदार धमाका हुआ, जिससे उसके दोनों पैरों में गंभीर चोटें आई हैं। घायल जवान को तुरंत सीआरपीएफ कैंप गलगम ले जाया गया, जहां उसका प्राथमिक उपचार जारी है।
घटना ने एक बार फिर नक्सलियों द्वारा लगाए गए खतरनाक आईईडी जाल की चुनौती को उजागर किया है।
नक्सलियों ने शांति वार्ता का दिया प्रस्ताव, सरकार ने रखी शर्त
इसी बीच, माओवादी संगठन ने एक प्रेस नोट जारी कर कर्रेगुट्टा में चल रहे ऑपरेशन को बंद करने और शांति वार्ता शुरू करने की मांग की है। यह बयान नक्सलियों के उत्तर पश्चिम बस्तर ब्यूरो के प्रभारी रूपेश के नाम से जारी किया गया है।
हालांकि, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय दोनों ने स्पष्ट किया है कि वार्ता तभी संभव होगी जब नक्सली पहले हिंसा का रास्ता छोड़ेंगे। सरकार ने दोहराया है कि शांति स्थापित करने के लिए नक्सलियों को बिना शर्त आत्मसमर्पण करना होगा।