रायपुर/छिंदवाड़ा। धार्मिक जगत में बड़ी पहचान बना चुके और कुंभ मेले में महामंडलेश्वर की उपाधि पा चुके अजय रामदास को सोमवार दोपहर छिंदवाड़ा में छत्तीसगढ़ की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनकी गिरफ्तारी के बाद साधु समाज और अनुयायियों में भारी हलचल है। राजभवन रायपुर में जालसाजी करने वाले फर्जी महामंडलेश्वर अजय रामदास को छत्तीसगढ़ पुलिस ने पांच साल बाद गिरफ्तार किया है। आरोपी लंबे समय से भेष बदलकर अलग-अलग स्थान पर भ्रमण कर रहा था।


राजयपाल अनुसुइया के लेटर पेड का किया था इस्तेमाल
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में उस समय की राज्यपाल अनुसुइया उइके के लेटर पैड की चोरी कर, आरोपी द्वारा कई फर्जी पत्र और नोटिस जारी किए गए थे। उसने न सिर्फ राज्यपाल के फर्जी हस्ताक्षर युक्त दस्तावेज बनाए, बल्कि कई प्रशासनिक अधिकारियों को भी गलत तरीके से आदेश पत्र भेजे, उसने इन दस्तावेजों पर राज्यपाल के फर्जी हस्ताक्षर तक बना दिए थे, जिससे राजभवन की छवि को गंभीर क्षति पहुंची थी।
तत्कालीन राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष एवं बाद में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल रहीं अनुसुइया उइके के लेटरपैड का दुरुपयोग कर कुछ विधायकों और अधिकारियों को फर्जी पत्र जारी किए गए गए थे। पत्रों की भाषा और शैली पर संदेह जताए जाने के बाद शिकायत सीधे अनुसुइया उइके तक पहुंची। उन्होंने इस मामले की शिकायत छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश दोनों राज्यों की पुलिस से धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं में एफआईआर दर्ज करवाई थी। लगातार जांच के बाद आखिरकार रायपुर सिविल लाइन पुलिस ने छिंदवाड़ा के लालबाग क्षेत्र से अजय रामदास को गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल आरोपी अजय रामदास को न्यायालय में पेश कर रिमांड पर लिया गया है।

गुप्त सूचना मिलने पर पुलिस ने की गिरफ़्तारी
पुलिस सूत्रों के अनुसार, अजय रामदास ने खुद को “महामंडलेश्वर” घोषित कर रखा था और साधु के भेष में विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करता रहा। छिंदवाड़ा जिले में भी उसने नाम बदलकर रहना शुरू कर दिया और वहीं खुद को धार्मिक गुरु बताकर आम जनता को धोखा दे रहा था।
छत्तीसगढ़ पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि वह छिंदवाड़ा में भेष बदलकर रह रहा है, जिसके बाद एक विशेष टीम ने वहां दबिश देकर उसे गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को रायपुर लाया गया है और अब उससे पूछताछ की जा रही है।
एमपी के कई थानों में दर्ज हैं मामले
पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी के खिलाफ मध्यप्रदेश के विभिन्न थानों में भी धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं। पुलिस अब आरोपी के खिलाफ अन्य मामलों की भी जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि उसके साथ और कौन-कौन लोग शामिल थे।

पूर्व राज्यपाल ने जताई थी नाराजगी
पूर्व राज्यपाल अनुसुइया उइके ने इस प्रकरण पर मीडिया से कहा कि “29 जुलाई को राज्यपाल पद संभालने के बाद जानकारी मिली थी कि मेरे लेटर पैड और हस्ताक्षर का दुरुपयोग कर कुछ पत्र छत्तीसगढ़ के विधायकों और अन्य प्रमुख लोगों को भेजे गए हैं। पत्रों की भाषा मेरे चरित्र और गरिमा को आहत करने वाली थी। इसकी शिकायत मैंने पुलिस से की थी। पत्रों की कॉपी भी मुझे उपलब्ध कराई गई थी। इस गंभीर विषय पर मैंने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश पुलिस को शिकायत भेजी थी। जांच में जो तथ्य सामने आए, उनके आधार पर कार्रवाई हुई है।”

रामभद्राचार्य के चहेते, खुद को घोषित करवाया महामंडलेश्वर
बताया जाता है कि अजय रामदास वर्मा जगद्गुरु रामभद्राचार्य के चहेते रहे हैं और उनके सान्निध्य में ही महाकुंभ मेले में अजय रामदास ने महामंडलेश्वर की प्रतिष्ठित उपाधि प्राप्त कर ली थी। रामदास वर्मा अब गंभीर आरोपों के घेरे में आ गए हैं।
कौन हैं अजय रामदास
अजय रामदास ने धार्मिक जगत में अपनी मजबूत पकड़ बनाते हुए कुंभ मेले के दौरान महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त की थी, जो संत समाज में एक बेहद प्रतिष्ठित स्थान माना जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने चौरई क्षेत्र में एक भव्य धार्मिक आयोजन कराया था, जिसमें जगद्गुरु रामभद्राचार्य के नेतृत्व में कथा का आयोजन हुआ था। इस कार्यक्रम ने उन्हें क्षेत्रीय धार्मिक और राजनीतिक हलकों में काफी प्रसिद्धि दिलाई थी।

चुनावी राजनीति से भी रहा है नाता
बताया जा रहा है कि उस समय रामभद्राचार्य ने विधानसभा चुनाव से पूर्व अजय रामदास के लिए पार्टी से टिकट दिलवाने की भी मांग की थी। हालांकि टिकट उन्हें नहीं मिल पाया। इसके बावजूद वह क्षेत्रीय राजनीति में एक चर्चित चेहरा बन गए थे।