नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाए जाने की सिफारिश किये जाने की खबर है। प्रधान न्यायाधीश ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से जुड़े मामले में उच्चतम न्यायालय समिति की रिपोर्ट साझा की है। जिसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी के आरोपों की जांच की है। सूत्रों के मुताबिक, इसमें न्यायमूर्ति वर्मा को हटाए जाने की सिफारिश की गई है।

तीन सदस्यीच पैनल की रिपोर्ट के आधार पर ये चिट्ठी भेजी गई है। सीजेआई ने पैनल की रिपोर्ट के साथ न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जवाब भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ साझा किया है। पैनल ने रविवार को सीजेआई को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। सीजेआई ने जस्टिस वर्मा से रिपोर्ट पर जवाब मांगा था। रिपोर्ट के निष्कर्ष अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने..?
उच्चतम न्यायालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश ने आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, जिसमें तीन सदस्यीय समिति की तीन मई की रिपोर्ट की प्रति तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से प्राप्त छह मई के पत्र/प्रतिक्रिया की प्रति संलग्न है.”
ऐसा माना जा रहा है कि प्रधान न्यायाधीश ने पहले समिति की रिपोर्ट न्यायमूर्ति वर्मा को भेजी थी और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए उनसे जवाब मांगा था.

‘दें इस्तीफा या सजा का सामना करें’
जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर नकदी मिलने के आरोपों की जांच के लिए गठित आंतरिक समिति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंपी अपनी रिपोर्ट में न्यायाधीश को दोषी ठहराया है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार उन्हें इस्तीफा देना ही होगा और यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश भेजी जाएगी।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार “रिपोर्ट में उन पर आरोप लगाया गया है। प्रक्रिया के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश ने उनसे पूछताछ की है। उन्हें दिया गया पहला विकल्प इस्तीफा देना है। अगर वह इस्तीफा देते हैं, तो यह अच्छा है। “यह भी समझा जाता है कि न्यायमूर्ति वर्मा को मुख्य न्यायाधीश को जवाब देने के लिए शुक्रवार, 9 मई तक का समय दिया गया है।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरमन की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रधान न्यायाधीश को सौंपी थी।
समिति ने 50 लोगों का लिया बयान
समिति ने साक्ष्यों का विश्लेषण किया और 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए, जिनमें दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख भी शामिल थे। दोनों अधिकारी 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने की घटना के बाद सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में शामिल थे। न्यायमूर्ति वर्मा उस समय दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे.
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली के 30, तुगलक क्रिसेंट स्थित आवास पर मंगलवार दोपहर CJI की गठित 3 सदस्यीय टीम (इन हाउस पैनल) जांच के लिए पहुंची। टीम उस स्टोर रूम में गई जहां ₹500-₹500 के नोटों से भरीं अधजली बोरियां मिली थीं।
अगर इस्तीफा नहीं देंगे वर्मा, तो महाभियोग का विकल्प
वर्तमान हालातों के अनुसार, अगर जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोप तय होते हैं, तो उन्हें इस्तीफा देना होगा। हालांकि अगर वर्मा इस्तीफा नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है। इस मामले में राष्ट्रपति के संसद में अभिभाषण के बाद निष्कासन का आदेश जारी किया जा सकता है। महाभियोग में न्यायाधीश को उसके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पेश किया जाएगा। इस प्रस्ताव को संसद के प्रत्येक सदन से विशेष बहुमत मिलना अनिवार्य है।
क्या होता है महाभियोग?
बता दें कि किसी पद पर बैठे व्यक्ति को उस पद की सभी शक्तियों और जिम्मेदारियों से हटाने का निर्णय लेने में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को महाभियोग कहा जाता है। ये प्रक्रिया आमतौर पर न्यायिक अदालतों के न्यायाधीशों, राष्ट्रपति और अन्य संवैधानिक पदों पर कार्यरत लोगों पर लागू होती है।
पद छोड़ने के बाद भी काम नहीं होंगी मुश्किलें
जानकारों का कहना है कि अगर जस्टिस यशवंत वर्मा अपना पद छोड़ भी देते हैं, तो भी उनकी परेशानियां खत्म नहीं होंगी। पद छोड़ने के बाद उन पर वही कानून लागू होगा जो आम इंसान पर लागू होता है। पद छोड़ने के बाद भी अगर सरकार कार्रवाई करना चाहे, तो संबंधित एजेंसियां मामले को आगे बढ़ा सकती हैं। ऐसे में अगर वर्मा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनता है, तो उसमें दोषी पाए जाने पर उन्हें सजा भी भुगतनी पड़ सकती है।